समग्र समाचार सेवा
इस्लामाबाद, 20 जून: भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि भारत द्वारा किए गए जवाबी मिसाइल हमलों ने पाकिस्तान को न केवल हैरान कर दिया, बल्कि उसे सऊदी अरब के जरिए भारत से युद्धविराम की अपील करनी पड़ी।
ऑपरेशन सिंदूर का असर
डार ने जियो टीवी को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में 7 और 8 मई की रात “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया। इसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कुल नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। सबसे बड़ा हमला रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस और पंजाब प्रांत के रफीकी एयरबेस पर किया गया।
Pakistan Deputy PM Ishaq Dar' openly admits 2 things in this interview
📍India struck the Nir Khan Air base and Shorkot Air base
📍 Ishaq Dar' says Saudi Prince Faisal called him asking "Am I authorised to talk to Jaishankar also and CONVEY ..and you are READY TO TALK"… pic.twitter.com/45TJqnlWKu
— OsintTV 📺 (@OsintTV) June 19, 2025
उन्होंने कहा, “भारत ने रात 2:30 बजे मिसाइल हमले किए। हमारे दोनों एयरबेस को निशाना बनाया गया। 45 मिनट के भीतर ही सऊदी अरब के प्रिंस फैसल का फोन आया। उन्होंने पूछा कि क्या वो भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात कर सकते हैं और कह सकते हैं कि पाकिस्तान हमले रोकने के बदले सीजफायर के लिए तैयार है।”
सऊदी अरब की मध्यस्थता
इशाक डार ने बताया कि उन्होंने सऊदी प्रिंस को इसके लिए अनुमति दी और कुछ देर बाद प्रिंस फैसल ने दोबारा फोन कर बताया कि जयशंकर को संदेश दे दिया गया है। इस बातचीत में यह भी उल्लेख हुआ कि अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी स्थिति की जानकारी थी।
डार की स्वीकारोक्ति से यह स्पष्ट हो गया कि भारत की सैन्य कार्रवाई से पाकिस्तान पूरी तरह बैकफुट पर आ गया था और उसने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से युद्धविराम की मांग की।
डीजीएमओ स्तर की बातचीत
ऑपरेशन सिंदूर के दो दिन बाद, 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को दोपहर 3:35 बजे फोन कर युद्धविराम का प्रस्ताव रखा। यह कदम भारत की सख्त सैन्य प्रतिक्रिया और रणनीतिक दबाव का परिणाम माना जा रहा है।
भारत की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंक के अड्डों को निशाना बनाना ही प्राथमिकता थी, न कि पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठानों को उकसाना।