समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19 जून-केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बड़ा और चर्चित बयान देते हुए कहा कि “ऐसा समाज बनाना है जहाँ अंग्रेजी बोलने वाले लोग खुद शर्मिंदा महसूस करें।” उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में भाषा के मुद्दे पर बहस एक बार फिर गर्म है।
अमित शाह ने कहा कि भारत की आत्मा उसकी मातृभाषाओं में बसी है और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है कि हम अपनी भाषाओं का सम्मान करें। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अंग्रेजी के पीछे भागने के बजाय अपनी मातृभाषा में गर्व महसूस करें। “हमें ऐसा समाज बनाना होगा जहां अपनी भाषा बोलने वाले को ही सम्मान मिले और जो अपनी भाषा को छोड़कर अंग्रेजी में बात करता है, उसे असहजता महसूस हो,” उन्होंने जोर देकर कहा।
इस कार्यक्रम में गृह मंत्री ने नई शिक्षा नीति (NEP) का उल्लेख करते हुए कहा कि अब प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाएगी, ताकि बच्चों की नींव मजबूत हो और वे अपनी संस्कृति से जुड़े रहें। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक भारत की भाषाओं को उनका यथोचित स्थान नहीं मिलेगा, तब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।
हालांकि अमित शाह के इस बयान पर राजनीतिक विवाद भी छिड़ गया है। विपक्षी नेताओं ने इसे “भाषाई असहिष्णुता” बताया है और कहा है कि भारत एक बहुभाषी देश है, जहाँ हर भाषा को समान सम्मान मिलना चाहिए। कुछ बुद्धिजीवियों ने भी सवाल उठाया है कि क्या अंग्रेजी बोलने वालों को शर्मिंदा करने की भावना लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है?
लेकिन भाजपा समर्थकों और संस्कृति प्रेमियों ने अमित शाह की बात को भारतीय भाषाओं के गौरव की वापसी के तौर पर देखा है। सोशल मीडिया पर #BhashaKaGaurav और #AmitShah ट्रेंड कर रहा है, जहाँ लोग अपनी-अपनी मातृभाषाओं में पोस्ट साझा कर रहे हैं।
इस बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में सरकार मातृभाषा आधारित नीति को और मजबूती से आगे बढ़ाने जा रही है।