समग्र समाचार सेवा
पुणे, 16 जून : पुणे में इंद्रायणी नदी पर एक पुराने पुल के ढहने से एक हृदय विदारक दुर्घटना हुई है, जिसमें चार लोगों की जान चली गई और कई अभी भी लापता हैं। यह घटना भारी बारिश और पुरानी बुनियादी ढाँचे की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है, खासकर जब यह पर्यटन स्थलों से संबंधित हो।
त्रासदी का भयावह सच: 4 की मौत, दर्जनों लापता
15 जून को शाम लगभग 4 बजे, पुणे के मावळ तहसील स्थित इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना लोहे का पुल भारी बारिश के कारण ढह गया। इस दुर्भाग्यपूर्ण समय में लगभग 125 पर्यटक पुल पर मौजूद थे, जिससे त्रासदी और भी बड़ी हो गई। शुरुआती तौर पर दो मौतों की पुष्टि हुई थी, लेकिन बाद में यह संख्या बढ़कर चार हो गई। बताया जा रहा है कि लगभग 20-25 लोग तेज बहाव में बह गए हैं, और कई अभी भी गंभीर रूप से लापता हैं।
युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य
दुर्घटना की सूचना मिलते ही राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), CRPF, स्थानीय पुलिस और दमकल विभाग तुरंत मौके पर पहुँचे। बचाव कार्य जोरों पर जारी है, जिसमें नावों, गोताखोरी उपकरणों और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है ताकि लापता व्यक्तियों को ढूँढा जा सके।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो इस समय विदेश यात्रा पर हैं, ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से फोन पर बात की और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख के मुआवजे की घोषणा की है और यह भी कहा है कि घायल व्यक्तियों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
हादसे की मुख्य वजह: जीर्ण-शीर्ण संरचना
विभिन्न अधिकारियों द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार, पुल की उम्र और उसकी उचित मरम्मत न होना ही इस त्रासदी की मुख्य वजह थी। भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ गया, जिससे पुल पर अतिरिक्त भार पड़ा और वह ढह गया। यह घटना पर्यटन स्थलों के आसपास मौजूद पुरानी संरचनाओं की सुरक्षा जांच पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
आगे की रणनीति और प्रतिक्रिया
इस दुखद घटना के बाद, राज्य सरकार ने राज्य में मौजूद सभी पुराने पुलों का संरचनात्मक ऑडिट (structural audit) कराने की घोषणा की है। NDRF और राज्य एजेंसियों ने यह आशंका भी जताई है कि दुर्घटना स्थल के आसपास की अन्य संरचनाएँ भी असुरक्षित हो सकती हैं। शरद पवार सहित विभिन्न राजनेताओं ने मानसून पर्यटन स्थलों पर अतिरिक्त सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
पुणे का यह दुखद हादसा एक बार फिर देश को पुरानी बुनियादी ढांचे के संरक्षण और पर्यटन स्थलों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी देता है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का सक्रिय हस्तक्षेप राहत कार्यों में निश्चित रूप से सहायक होगा, लेकिन स्थानीय प्रशासन को त्वरित और व्यावहारिक सुधारों पर कार्य करना अनिवार्य है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।