समग्र समाचार सेवा
पटना, 14 जून: बिहार की राजनीति में सीटों के बंटवारे और नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान के बीच, जन अधिकार पार्टी (जाप) के प्रमुख और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को अहम सलाह दी है। पप्पू यादव ने तेजस्वी को ‘हेडमास्टर’ न बनने की बात कहते हुए कांग्रेस को ‘माई-बाप’ पार्टी बताया है। उनके इस बयान ने बिहार के महागठबंधन में एक नई बहस छेड़ दी है।
तेजस्वी को सलाह: ‘हेडमास्टर’ न बनें
पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि उन्हें महागठबंधन के भीतर ‘हेडमास्टर’ की भूमिका में नहीं आना चाहिए। उनका यह बयान संभवतः राजद द्वारा सीटों के बंटवारे में अपने प्रभाव को अधिक दिखाने की कोशिशों और अन्य सहयोगी दलों को कमतर आंकने की प्रवृत्ति पर कटाक्ष था। पप्पू यादव ने जोर दिया कि गठबंधन में सभी दलों का सम्मान होना चाहिए और किसी एक दल को सर्वेसर्वा बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
कांग्रेस है ‘माई-बाप’: राहुल, प्रियंका और खड़गे का जिक्र
पप्पू यादव ने कांग्रेस पार्टी को महागठबंधन का ‘माई-बाप’ बताया, जिससे कांग्रेस की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं, का उल्लेख करते हुए कहा कि ये नेता ही गठबंधन को एक साथ बांधे हुए हैं और बड़े भाई की भूमिका निभाते हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है और महागठबंधन के भीतर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
बिहार की राजनीति में गठबंधन की चुनौतियां
पप्पू यादव का यह बयान बिहार के महागठबंधन के भीतर चल रही अंदरूनी खींचतान को उजागर करता है। लोकसभा चुनाव में भले ही गठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन न किया हो, लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे और नेतृत्व को लेकर सहयोगी दलों के बीच तनाव उभरना स्वाभाविक है।
राजद, जो गठबंधन का सबसे बड़ा घटक है, स्वाभाविक रूप से सीटों पर अपना दावा मजबूत रखना चाहेगा। वहीं, कांग्रेस और अन्य छोटे दल भी अपनी राजनीतिक अहमियत साबित करना चाहेंगे। पप्पू यादव के इस बयान से यह साफ है कि कांग्रेस बिहार में एक मजबूत उपस्थिति चाहती है और वह राजद के एकाधिकार को चुनौती देने से नहीं हिचकिचाएगी।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के सामने नेतृत्व, सीटों का तालमेल और घटक दलों के बीच समन्वय बनाए रखने की बड़ी चुनौती है। पप्पू यादव का यह बयान इस चुनौती को और भी जटिल बना सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी यादव और राजद इस बयान पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और महागठबंधन किस तरह इन आंतरिक विवादों से निपटता है।