समग्र समाचार सेवा
पटना, 14 जून: बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर उनका अपमान करने का आरोप लगा है। एक वीडियो वायरल होने के बाद यह विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें लालू यादव कथित तौर पर अंबेडकर की तस्वीर का अनादर करते दिख रहे हैं। इस घटना ने बिहार के राजनीतिक गलियारों में हंगामा खड़ा कर दिया है और NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने राजद पर तीखा हमला बोला है।
क्या है वायरल वीडियो में?
वायरल वीडियो में दिख रहा है कि लालू यादव को उनके एक समर्थक द्वारा बाबासाहेब अंबेडकर की तस्वीर भेंट की जाती है। हालांकि, लालू यादव ने कथित तौर पर उस तस्वीर को हाथों से नहीं छुआ और तस्वीर को उनके पैरों के पास रखकर एक फोटो सेशन का आयोजन किया गया। इस दृश्य ने तुरंत विवाद को जन्म दे दिया है, क्योंकि इसे बाबासाहेब अंबेडकर के प्रति अनादर के रूप में देखा जा रहा है।
अंबेडकर जयंती, जिसे समानता दिवस के रूप में मनाया जाता है, पर इस तरह की घटना ने दलित समुदाय और उनके शुभचिंतकों में नाराजगी पैदा कर दी है।
NDA का तीखा हमला: ‘दलितों का अपमान’
इस वीडियो के सामने आने के बाद NDA के नेताओं ने राजद और लालू यादव पर जमकर निशाना साधा है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस घटना को अंबेडकर और दलित समुदाय का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि यह राजद का दलित विरोधी चेहरा दर्शाता है।
भाजपा और जदयू के अन्य नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की है और राजद से स्पष्टीकरण की मांग की है। NDA का आरोप है कि राजद सिर्फ वोटों के लिए दलितों की बात करती है, लेकिन उनके नेताओं का सम्मान नहीं करती। यह विवाद आगामी चुनावों में दलित वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।
बिहार की राजनीति में नया मोड़
यह घटना बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आई है। बाबासाहेब अंबेडकर दलितों और वंचितों के सबसे बड़े प्रतीक हैं, और उनका अपमान करना किसी भी राजनीतिक दल के लिए महंगा साबित हो सकता है। राजद, जो खुद को सामाजिक न्याय की पार्टी बताती है, के लिए यह वीडियो एक बड़ी चुनौती बन गया है।
राजद को अब इस मामले पर सफाई देनी होगी और दलित समुदाय के बीच हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद बिहार के राजनीतिक समीकरणों को कितना प्रभावित करता है और आगामी चुनावों में इसका क्या असर होता है।