समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12 जून: सरकार ने उन सभी खबरों को खारिज़ कर दिया है, जिनमें यह दावा किया जा रहा था कि वह UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ट्रांजैक्शन पर कोई नया नियम लाने की सोच रही है। सरकार ने इन दावों को गलत और निराधार बताया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह अटकलें लगाई गई थीं कि ₹3,000 से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन पर MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) फिर से लागू किया जा सकता है।
क्या थीं अटकलें और क्यों लग रहा था ऐसा?
रिपोर्ट्स में कहा गया था कि MDR को फिर से लागू करने का मकसद बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऑपरेशनल खर्चों को संभालने में मदद करना है। यह भी दावा किया गया था कि MDR ट्रांजैक्शन वैल्यू पर आधारित होगा, न कि मर्चेंट टर्नओवर पर, और छोटे UPI पेमेंट पर यह नियम लागू नहीं होगा। लेकिन, बड़े ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट फीस लग सकती है। इन रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि यह कदम जनवरी 2020 से लागू जीरो-MDR पॉलिसी को बदल देगा।
सरकार के खंडन से पहले, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर ने बड़े डिजिटल ट्रांजैक्शन को संभालने की बढ़ती लागत पर चिंता जताई थी। UPI से लगभग 80% रिटेल डिजिटल ट्रांजैक्शन होते हैं। जीरो-MDR के कारण इस सेक्टर में निवेश के लिए प्रोत्साहन कम हो गया है। 2020 से UPI पर्सन-टू-मर्चेंट ट्रांजैक्शन का मूल्य ₹60 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो बाजार में इसकी गहरी पैठ और उपभोक्ताओं के भरोसे को दर्शाता है, खासकर बड़े ट्रांजैक्शन में, जहाँ सर्विस प्रोवाइडर को ज्यादा खर्च उठाना पड़ता है।
MDR क्या है और क्या था प्रस्ताव?
MDR वह शुल्क होता है जो व्यापारी (मर्चेंट) डिजिटल भुगतान स्वीकार करने के लिए बैंक या पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को देते हैं। वर्तमान में, UPI और RuPay डेबिट कार्ड से होने वाले लेनदेन पर कोई MDR नहीं लगता है। यह ‘जीरो-MDR’ पॉलिसी जनवरी 2020 से लागू है।
रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने UPI ट्रांजैक्शन पर बड़े मर्चेंट के लिए 0.3% MDR का प्रस्ताव रखा था। अभी क्रेडिट और डेबिट कार्ड पेमेंट पर MDR 0.9% से 2% तक है, जिसमें RuPay शामिल नहीं है। RuPay क्रेडिट कार्ड को अभी MDR से बाहर रखा जाएगा।
सरकार का स्पष्टीकरण: अफवाहों पर न दें ध्यान
यह भी कहा गया था कि इस बारे में एक या दो महीने में फैसला हो सकता है और सरकार बैंकों, फिनटेक कंपनियों और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) जैसे हितधारकों से सलाह लेगी। हालाँकि, सरकार ने इन सभी खबरों को बेबुनियाद बताया है और स्पष्ट किया है कि UPI ट्रांजैक्शन पर किसी भी नए नियम या MDR को फिर से लागू करने की कोई योजना नहीं है। यह खंडन उन चिंताओं को दूर करता है जो उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच उत्पन्न हुई थीं।