कर्नाटक में फिर होगा जातिगत सर्वेक्षण (caste census) , भाजपा ने बताया ‘स्टैम्पीड से ध्यान भटकाने की चाल’

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समग्र समाचार सेवा

बंगलुरु, 11 जून : कर्नाटक में जातिगत जनगणना एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार, 10 जून को घोषणा की कि वह एक नया या पूरक जाति सर्वेक्षण करवाएगी, ताकि उन समुदायों की चिंताओं को दूर किया जा सके, जो पहले हुए सर्वेक्षण में खुद को कम आंका हुआ मानते हैं। खास तौर पर वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों ने लंबे समय से दावा किया है कि उनकी आबादी को जानबूझकर कम दिखाया गया था।

इस निर्णय की घोषणा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सहित वरिष्ठ नेताओं की एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद हुई। बैठक के बाद एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मीडिया को बताया कि कांग्रेस पार्टी ने पहले हुए जातिगत सर्वेक्षण को ‘सैद्धांतिक रूप से’ स्वीकार किया है, लेकिन कई समुदायों की ओर से आई शिकायतों के चलते अब नई जनगणना कराई जाएगी।

वेणुगोपाल ने बताया, “कांग्रेस पार्टी का मानना है कि जो जातिगत सर्वेक्षण कर्नाटक सरकार ने किया है, उसे सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए। लेकिन कुछ समुदायों ने गिनती को लेकर शंका जताई है।”

डीके शिवकुमार ने मीडिया को बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि जातिगत आंकड़ों को लेकर पैदा हुई असहमति और भ्रम को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि घर-घर जाकर और ऑनलाइन माध्यम से एक बार फिर से आंकड़े जुटाए जाएंगे और यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी।

सूत्रों के अनुसार, यह नया सर्वेक्षण तेलंगाना मॉडल पर आधारित होगा और 60 से 80 दिनों के भीतर शुरू करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह पूर्ण पुनः सर्वेक्षण होगा या पहले के आंकड़ों का ही पूरक सर्वे।

इस बीच विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। भाजपा ने आरोप लगाया कि यह निर्णय हाल ही में बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत के बाद सरकार की विफलता से ध्यान भटकाने की एक चाल है।

कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा, “जब भी कांग्रेस सरकार किसी प्रशासनिक संकट में फंसती है, वह जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। यह सामाजिक सरोकार नहीं, बल्कि एक राजनीतिक चाल है।”

भाजपा विधायक और प्रदेश महासचिव वी. सुनील कुमार ने सवाल उठाया कि क्या सरकार अब यह मान रही है कि पिछले सर्वेक्षण पर खर्च किए गए 160 करोड़ रुपये बेकार गए?

अब सबकी नजरें गुरुवार को होने वाली विशेष कैबिनेट बैठक पर टिकी हैं, जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मंत्रियों की आपत्तियों को सुनने वाले हैं।

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