समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 जून —पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने हाल ही में भारत में बढ़ते ड्रोन खतरों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास ‘नो-फ्लाई ज़ोन’ घोषित किए जाएँ और ड्रोन नियमों के उल्लंघन को मामूली नागरिक अपराध की बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कड़ी सजा दी जाए।
जनरल नरवणे की यह चेतावनी यूक्रेन द्वारा 1 जून को रूस पर किए गए ऑपरेशन ‘स्पाइडर्स वेब’ के बाद आई है, जिसमें 117 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। यह ड्रोन रूस में निर्माण सामग्री के रूप में छिपाकर भेजे गए थे और बाद में एयरबेसों को निशाना बनाया गया। इस हमले ने वैश्विक स्तर पर ड्रोन युद्ध की नई चुनौती को उजागर कर दिया है।
“अब कोई पारंपरिक फ्रंट लाइन नहीं रही”
जनरल नरवणे ने ‘द प्रिंट’ में प्रकाशित एक लेख में लिखा:
“इन ड्रोन हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब कोई पारंपरिक युद्ध की रेखा नहीं रही। अब पूरा देश ही युद्ध का मैदान बन चुका है।”
उन्होंने आगाह किया कि भारत को तत्काल नीति और कानूनों में बदलाव की जरूरत है, जिससे भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को रोका जा सके। खासतौर से महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठानों, सैन्य अड्डों, परमाणु संयंत्रों, एयरपोर्ट्स और रिफाइनरियों के आसपास उड़ानों को पूरी तरह प्रतिबंधित करना आवश्यक है।
ड्रोन कंपनियों की निगरानी जरूरी
जनरल नरवणे ने ड्रोन निर्माण और बिक्री करने वाली सभी कंपनियों की नियमित निगरानी और ट्रैकिंग की भी सिफारिश की। उन्होंने कहा कि कई बार छोटे और कम कीमत वाले ड्रोन का उपयोग भी बड़े हमलों के लिए किया जा सकता है, इसलिए हर स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करना होगा।
नागरिकों की भूमिका भी अहम उन्होंने आम नागरिकों से भी अपील की कि यदि वे किसी संदिग्ध ड्रोन गतिविधि को देखें, तो तुरंत सुरक्षा एजेंसियों को सूचित करें।
जनरल नरवणे की यह सलाह ऐसे समय में आई है जब भारत के कई हिस्सों में ड्रोन के जरिए तस्करी और जासूसी के मामले सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस नई चुनौती से निपटने के लिए ठोस और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।