समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 जून: भारत सरकार देश के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला, वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (वीआरडीई) ने 10 भारतीय उद्योगों को नौ महत्वपूर्ण प्रणालियों की प्रौद्योगिकियां हस्तांतरित की हैं। यह भारतीय रक्षा औद्योगिक तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
7 जून, 2025 को हुआ ऐतिहासिक समझौता
यह ऐतिहासिक घटना 7 जून, 2025 को वीआरडीई में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान हुई। इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत विशेष रूप से उपस्थित थे। उनकी उपस्थिति में विभिन्न उद्योगों को लाइसेंसिंग समझौते सौंपे गए, जो भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को एक नई गति प्रदान करेगा।
हस्तांतरित की गईं प्रमुख प्रौद्योगिकियां:
वीआरडीई द्वारा भारतीय उद्योगों को हस्तांतरित की गई प्रौद्योगिकियां अत्याधुनिक और सामरिक महत्व की हैं, जो भारतीय सेना की क्षमताओं को और बढ़ाएंगी। इनमें शामिल हैं:
* रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल, परमाणु (सीबीआरएन) टोही वाहन (ट्रैक्ड) एमके-II: यह उन्नत वाहन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया, जो युद्ध के मैदान में सीबीआरएन खतरों का पता लगाने और प्रतिक्रिया देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
* माउंटेड गन सिस्टम: यह प्रणाली भारत फोर्ज लिमिटेड को दी गई है, जो भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगी।
* आतंकवाद रोधी वाहन – ट्रैक किया गया संस्करण: आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया यह वाहन मेटलटेक मोटर बॉडीज़ प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया।
* मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) अर्जुन एमके-1ए के लिए 70टी टैंक ट्रांसपोर्टर का पूर्ण ट्रेलर: एमबीटी अर्जुन जैसे भारी टैंकों के परिवहन के लिए यह महत्वपूर्ण तकनीक बीईएमएल लिमिटेड, टाटा इंटरनेशनल व्हीकल एप्लीकेशंस, एसडीआर ऑटो प्राइवेट लिमिटेड और जॉन गाल्ट इंटरनेशनल को प्रदान की गई।
* विस्तार योग्य मोबाइल शेल्टर: यह बहुउपयोगी आश्रय भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया है, जो विभिन्न अभियानों में त्वरित तैनाती और लचीलेपन की सुविधा प्रदान करेगा।
* वज्र-दंगा नियंत्रण वाहन: कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया यह वाहन टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड को दिया गया।
* एमबीटी अर्जुन के लिए यूनिट रखरखाव वाहन एवं एमबीटी अर्जुन के लिए यूनिट मरम्मत वाहन: इन महत्वपूर्ण रखरखाव और मरम्मत प्रणालियों को बीईएमएल लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया, जिससे एमबीटी अर्जुन की परिचालन तत्परता सुनिश्चित होगी।
* बहुउद्देश्यीय परिशोधन प्रणाली: यह प्रणाली दास हिताची लिमिटेड और गोमा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को प्रदान की गई, जो विभिन्न प्रकार के दूषित पदार्थों को साफ करने में सक्षम है।
शिक्षा और अनुसंधान में सहयोग
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ-साथ, वीआरडीई ने सीओईपी टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, पुणे के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए। यह समझौता ज्ञापन अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और उभरते क्षेत्रों पर संयुक्त रूप से काम करने का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे रक्षा अनुसंधान और विकास में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. कामत ने स्वदेशी प्रणालियों की सराहना की
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. समीर वी. कामत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी प्रणालियों के असाधारण प्रदर्शन के लिए डीआरडीओ और उद्योग जगत की सराहना की। उन्होंने उद्योग जगत को अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने की योजना बनाने का भी सुझाव दिया। डॉ. कामत ने भूमि प्रणालियों और हथियार प्लेटफार्मों के लिए उच्च-स्तरीय तकनीकी समाधान प्रदान करने में वीआरडीई के अथक प्रयासों की भी प्रशंसा की।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रोफेसर (डॉ) प्रतीक किशोर, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक एवं महानिदेशक (आयुध एवं युद्ध इंजीनियरिंग) क्लस्टर डीआरडीओ; वीआरडीई के निदेशक श्री जी राममोहन राव और अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक भी उपस्थित थे। यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम और करीब ले जाता है।