पूर्व CJI डी वाई चंद्रचूड़ को जर्मन कंपनी और रूस के बीच मध्यस्थता में नियुक्ति प्राधिकारी नियुक्त किया गया

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा                                                                                                                                                                                                                                  नई  दिल्ली पूर्व 8 जून –भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को जर्मन ऊर्जा कंपनी विंटरशाल डीईए और रूस के बीच चल रही मध्यस्थता (अरबिट्रेशन) प्रक्रिया में नियुक्ति प्राधिकारी (Appointing Authority) बनाया गया है। यह मध्यस्थता ऊर्जा चार्टर संधि (Energy Charter Treaty – ECT) के अंतर्गत की जा रही है।

यह नियुक्ति मैक्सिकन वकील एडुआर्डो सिकीरोस के इस्तीफे के बाद की गई है, जो पहले इस पद पर थे।

नियुक्ति प्राधिकारी के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्य न्यायाधिकरण (tribunal) की संरचना से संबंधित प्रक्रिया संबंधी मुद्दों को देखना है। इसमें पहले से नियुक्त दो मध्यस्थों की नियुक्ति को चुनौती देने वाले मामले पर निर्णय लेना और आवश्यकता पड़ने पर तीसरे मध्यस्थ की नियुक्ति करना शामिल है। ध्यान देने योग्य है कि नियुक्ति प्राधिकारी मामले की सुनवाई या इसके गुण-दोष पर निर्णय नहीं करता।

मामला विंटरशाल डीईए की रूस में ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश की जब्ती (expropriation) से जुड़ा है। इनमें युज़नो-रुस्सकोए गैस क्षेत्र और पश्चिमी साइबेरिया में आचिमोव विकास परियोजना में कंपनी की हिस्सेदारी शामिल है।

दिसंबर 2023 में, रूसी राष्ट्रपति के आदेशों के तहत इन हिस्सेदारियों को नई रूसी संस्थाओं को स्थानांतरित कर दिया गया और बाद में इन्हें गैज़प्रोम की सहायक कंपनी ‘गाज़ोव्ये टेक्नोलोगी’ को बेचने के लिए पेश किया गया। कंपनी का आरोप है कि यह कार्यवाही ECT और जर्मनी-रूस के द्विपक्षीय निवेश संधि का उल्लंघन है।

इसके जवाब में, रूस के महाधिवक्ता कार्यालय ने मॉस्को आर्बिट्राज न्यायालय में विंटरशाल डीईए, इसके वकील ऑरेलियस कोट्टा और सभी तीन मध्यस्थों के खिलाफ दावा दायर किया। न्यायालय ने मध्यस्थता की कार्यवाही पर रोक लगाने और यदि प्रक्रिया जारी रही तो €7.5 अरब के जुर्माने की चेतावनी दी।

इन परिस्थितियों में एक मध्यस्थ ने इस्तीफा दे दिया और बाकी दो की नियुक्ति को चुनौती दी गई, जिससे कार्यवाही कुछ समय के लिए निलंबित हो गई। हालांकि 24 मई को शेष दो मध्यस्थों ने एक प्रक्रिया आदेश जारी कर मामले को पुनः प्रारंभ किया और रूस को अपने कानूनी दावे वापस लेने का निर्देश दिया।

अब जस्टिस चंद्रचूड़ तय करेंगे कि क्या शेष मध्यस्थ कार्यवाही जारी रख सकते हैं और यदि आवश्यक हो तो तीसरे सदस्य की नियुक्ति करेंगे। यह कदम अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा निवेश सुरक्षा और मध्यस्थता प्रक्रियाओं की पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण विकास माना जा रहा है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.