असम में बिना न्यायिक प्रक्रिया के अवैध प्रवासियों को वापस भेजेगी सरकार, 1950 के कानून का होगा पालन

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समग्र समाचार सेवा                                                                                                                                                                                                                                  गुवाहाटी, 8 जून : असम सरकार ने अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के लिए अब 1950 के एक पुराने कानून – *Immigrants Expulsion Order* – का सहारा लेने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को घोषणा की कि अब “विदेशी” के रूप में पहचाने गए व्यक्ति को विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunal) में मामला ले जाए बिना ही वापस भेजा जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 6A की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया था कि असम सरकार के लिए हर बार न्यायपालिका का रुख करना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने बताया, “इस कानून के तहत जिलाधिकारी को किसी भी विदेशी को देश से बाहर भेजने का अधिकार है। हम पहले इस कानून से अनजान थे, लेकिन अब इसका इस्तेमाल करेंगे और प्रक्रिया को तेज करेंगे।”

मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी कहा कि एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से जुड़ी जटिलताओं के कारण “विदेशी” पहचानने की प्रक्रिया धीमी पड़ गई थी, लेकिन अब यह तेज की जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार पहले ही कुछ अवैध प्रवासियों को वापस भेज चुकी है, हालांकि जिनके मामले अदालत में लंबित हैं, उन्हें नहीं निकाला गया है।

गौरतलब है कि विदेशी न्यायाधिकरण अर्ध-न्यायिक निकाय होते हैं, जो संदिग्ध विदेशियों के मामलों की सुनवाई करते हैं। अभी तक, अगर किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित किया जाता था, तो वह उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता था।

हालांकि, इस कदम की अलोचना भी हो रही है। अल्पसंख्यक-आधारित पार्टी एआईयूडीएफ (AIUDF) ने राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को ज्ञापन सौंपते हुए आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को “अवैध प्रवासी” बताकर परेशान किया जा रहा है। पार्टी ने कहा कि कई लोगों को बिना पुख्ता सबूत, नोटिस या दस्तावेजों की सही जांच के ही गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ को बाद में भारतीय नागरिक साबित होने पर रिहा कर दिया गया।

यह फैसला राज्य की राजनीति और सामाजिक माहौल में नई बहस को जन्म दे सकता है। 

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