क्या तीसरे विश्व युद्ध की आहट सुनाई दे रही है ? यूक्रेन पर अब तक का सबसे खतरनाक हमला

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पूनम शर्मा 

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग ने एक बार फिर से दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। 400 से अधिक ड्रोन और 44 मिसाइलों के साथ रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे भारी और व्यापक हवाई हमला किया है। यह हमला सिर्फ जान-माल के नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे छुपा संदेश कहीं अधिक गंभीर और वैश्विक है। यह सिर्फ एक और सैन्य कार्रवाई नहीं—बल्कि ‘स्पाइडर वेब ऑपरेशन’ का एक तीखा और सोच-समझकर दिया गया जवाब है।

‘स्पाइडर वेब’ का उत्तर 

कुछ हफ्तों पहले यूक्रेन ने पश्चिमी तकनीक का समर्थन लेकर रूस के ख़िलाफ़ ‘स्पाइडर वेब’ नाम का एक हाईटेक ड्रोन और निगरानी अभियान शुरू किया था। यह एक बहुस्तरीय नेटवर्क था जिसमें साइबर हमले, सैटेलाइट ट्रैकिंग, और गुप्त ड्रोन तकनीक के ज़रिए रूस की सैन्य तैयारियों को निशाने पर लगाया गया। रूस को यह ऑपरेशन नागवार गुज़रा और उसने अपनी प्रतिक्रिया उस शैली में दी जो वह सबसे अच्छी तरह जानता है—तबाही और डर के ज़रिए जवाब।

खारकीव तक तबाही का मंजर

राजधानी शहर कीव के अलावा खारकीव और अनेक अन्य नगरों पर ध्वंसात्मक हमले किए । अस्पताल, आवासीय क्षेत्रों, स्कूलों और बिजली संयंत्रों पर निशाना लगाया गया। 12 नागरिक हताहत हुए , सैकड़ों घायल हुए और हज़ारों लोगों को रातों-रात अपना घर छोड़ना पड़ा।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इस हमले को ‘जीवन को समाप्त करने का संगठित प्रयास’ माना। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह अब और देर न करे, क्योंकि रूस सिर्फ यूक्रेन को नहीं, बल्कि पूरे विश्व-शांति को चुनौती दे रहा है।

अमेरिकी प्रतिक्रिया और ट्रंप का गुस्सा

इस हमले के बाद अमेरिका में हड़कम्प मच गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्लादिमीर पुतिन को “पूरी तरह पागल” कहकर संबोधित किया और रूस पर नए प्रतिबंधों की वकालत की। हालांकि, यह बयान जितना आक्रामक है, उतना ही यह सवाल भी उठाता है—क्या बयानों से ही रुक जाएगा रूस?

पश्चिम बनाम पूरब: ध्रुवीकरण की आंधी

यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को और अधिक सहायता की घोषणा की है, लेकिन एक और चिंता की लकीर साफ दिख रही है—रूस और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियां। चीन रूस को रणनीतिक और आर्थिक रूप से सहयोग दे रहा है, और यह गठजोड़ पश्चिमी गुट के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। यह नया ध्रुवीकरण ठीक वैसा ही लग रहा है जैसा शीत युद्ध के दौरान देखा गया था—बस इस बार दांव कहीं ज्यादा खतरनाक हैं।

‘सॉफ्ट न्यूक्लियर वॉर’ की ओर दुनिया?

रूस की इस आक्रामकता और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की जवाबी रणनीतियों के बीच एक नया खतरा मंडरा रहा है—’सॉफ्ट न्यूक्लियर वॉर’। यानी ऐसा युद्ध जिसमें परमाणु हथियारों का सीधे इस्तेमाल न हो, लेकिन तकनीकी, आर्थिक, और साइबर स्तर पर वो विनाश फैले जिसकी तीव्रता किसी परमाणु हमले से कम न हो।

यूक्रेन के रक्षा विशेषज्ञों ने बताया कि रूस की नई रणनीति यह है कि वह यूक्रेन की हवाई सुरक्षा को थका दे और पश्चिमी देशों की मदद को अप्रभावी बना दे। अगर ऐसा होता है, तो आगामी दिनों में रूस और अधिक घातक कदम उठा सकता है।

क्या दुनिया तैयार है?

यूक्रेनी नागरिकों की हिम्मत तारीफ़ के काबिल है। बार-बार हमलों के दौर साथ-साथ वे लड़ रहे हैं और एक ही स्वर में कह रहे हैं—”हमारा भविष्य हमारे हाथ में है।” लेकिन क्या यह हिम्मत अकेले पर्याप्त है?

यह प्रश्न अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है। क्या संयुक्त राष्ट्र, नाटो और G7 जैसी संस्थाएं सिर्फ निंदा करेंगी या वाकई कोई निर्णायक कदम उठाया जाएगा? क्या लोकतंत्र और संप्रभुता की रक्षा केवल भाषणों तक सीमित रहे

इतिहास की निर्णायक घड़ी

रूस का यह हमला केवल यूक्रेन पर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था पर है। ‘स्पाइडर वेब’ का जवाब यदि इस तरह दीवारों को ढहाकर और शहरों को राख बनाकर दिया जाएगा, तो यह जंग सीमित नहीं रहेगी। यह विश्व शांति के ताबूत में एक और कील बन सकती है।

अब समय है जब दुनिया एकजुट होकर निर्णय लेगी—कि वह शांति की ओर रहेगी, या फिर इतिहास को फिर से तबाही की ओर चलने देगी।

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