बेंगलुरु भगदड़ पर बीजेपी का बड़ा हमला: सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की गिरफ्तारी की माँग

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समग्र  समाचार सेवा                                                                                                                                                                                                                              नई दिल्ली ,5 जून :  बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की विजय रैली के दौरान हुई भगदड़ में 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए। इस हादसे ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया है। अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस शासित कर्नाटक सरकार पर जोरदार हमला बोला है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को इस दुर्घटना का जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी तत्काल गिरफ्तारी और इस्तीफे की मांग की है। पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह हादसा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच आपसी समन्वय की कमी के कारण हुआ। डीसीएम ने कहा कि स्टेडियम की क्षमता 35,000 है, लेकिन कार्यक्रम में करीब 3 लाख लोग पहुंचे। यह कैसे हुआ? पुलिस ने इस विजय रैली को अनुमति नहीं दी थी, फिर भी इसे क्यों आयोजित किया गया?”

उन्होंने कहा कि जब लोग जान गंवा रहे थे, तब भी मंच पर सम्मान कार्यक्रम जारी रहा। “यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा है – जब लोग मर रहे थे, तब सरकार तालियों और बधाइयों में व्यस्त थी,” पात्रा ने कहा।

संबित पात्रा ने इस भगदड़ की तुलना दक्षिण भारतीय अभिनेता अल्लू अर्जुन के एक पुराने केस से की, जिसमें उन्हें एक कार्यक्रम में भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराकर हिरासत में लिया गया था। पात्रा ने सवाल उठाया, “जिस तरह अल्लू अर्जुन को जिम्मेदार ठहराकर गिरफ्तार किया गया, क्या आज सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को भी गिरफ्तार किया जाएगा?”

भाजपा प्रवक्ता ने इस घटना को “गंभीर और अत्यंत दुखद” बताते हुए कहा कि यह केवल कर्नाटक नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक राष्ट्रीय शोक की घड़ी है। “प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। भाजपा भी इन 11 निर्दोष लोगों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करती है और मृतकों के परिवारों को शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करती है।”

यह घटना न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करती है, बल्कि जनता की सुरक्षा को लेकर सरकार की गंभीरता पर भी सवाल खड़े करती है।

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