समग्र समाचार सेवा नई दिल्ली 4 जून : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू हो गई है, जिसमें ब्याज दरों की समीक्षा की जा रही है। विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बार केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत या 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो वर्तमान में 6 प्रतिशत की रेपो रेट घटकर 5.75 प्रतिशत पर आ जाएगी।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा 6 जून को एमपीसी के निर्णयों की घोषणा करेंगे। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब हेडलाइन महंगाई दर आरबीआई के 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। अप्रैल में खुदरा महंगाई 3.2 प्रतिशत रही, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई पर नियंत्रण और विकास दर में सुस्ती के चलते आरबीआई अब ब्याज दरों में राहत दे सकता है। पिछले दो एमपीसी बैठकों में पहले ही रेपो रेट में कुल 50 आधार अंकों की कटौती हो चुकी है। इससे पहले, आरबीआई ने अपने विकास दर अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है, लेकिन अन्य वैश्विक संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों ने इसे घटाकर 6.0 से 6.3 प्रतिशत के बीच कर दिया है।
एसबीआई की एक हालिया रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि आरबीआई विकास दर को बढ़ावा देने के लिए इस बैठक में 50 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। वहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा का मानना है कि कटौती की संभावना 25 आधार अंकों तक सीमित रहेगी।
बजाज ब्रोकिंग रिसर्च ने अपने विश्लेषण में बताया कि एमपीसी का रुख अब ‘न्यूट्रल’ से ‘अकोमोडेटिव’ हो गया है, जो साफ संकेत देता है कि आरबीआई अब तरलता बढ़ाने और आर्थिक विकास को समर्थन देने के पक्ष में है।
इस बैठक के नतीजे भारत की मौद्रिक नीति दिशा, लोन दरों और बाजार की चाल को काफी हद तक प्रभावित करेंगे। यदि रेपो रेट में कटौती होती है, तो आम आदमी के लिए लोन सस्ता हो सकता है, जिससे आवास, वाहन और उद्योग क्षेत्र को राहत मिलेगी।