
ययह यह मैं हूँ क्या?
चश्मा लगा कर देखा
चेहरे पर बहुत दाग थे।
चश्मा उतर कर देखा
तब भी
चेहरे पर दाग ही दिखे।
फिर उन्होंने कहा
चश्मा और शीशा
साफ तो कर लेती।
दिल नहीं माना
फिर भी किया।
और तब
साफ शीशे और
साफ चश्मे से
स्वयं को देख
देखा क्या, बस देखती ही रह गई।