मूल निवासियों को हथियार लाइसेंस प्रदान करने की योजना : सीमावर्ती क्षेत्रों में असम सरकार का विशेष निर्णय

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समग्र समाचार सेवा                                                                                                                                                                                                                                 गुवाहाटी, असम, 29 मई  – असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय लेते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों और स्वदेशी नागरिकों को हथियार लाइसेंस प्रदान करने की योजना को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य इन समुदायों को संभावित आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करना है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां बांग्लादेश मूल के मुसलमानों की बहुसंख्या है।

निर्णय का उद्देश्य और पृष्ठभूमि

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया कि यह निर्णय उन जिलों के लिए लिया गया है जहां स्वदेशी लोग अल्पसंख्यक हैं और उन्हें असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। इस योजना के तहत पात्र व्यक्तियों को हथियार लाइसेंस प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

पात्रता और आवेदन प्रक्रिया

इस योजना के अंतर्गत केवल वे लोग आवेदन कर सकते हैं जो मूल निवासी और स्वदेशी समुदाय से संबंधित हों। आवेदकों को अपनी पहचान और निवास स्थान के प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे। सरकार पात्र व्यक्तियों को लाइसेंस प्रदान करने में उदारता बरतेगी, ताकि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस निर्णय को लेकर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों ने इसे स्वदेशी समुदायों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया है, जबकि अन्य ने इसे सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला बताया है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह निर्णय केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

असम सरकार का यह निर्णय राज्य की सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना स्वदेशी समुदायों को आत्मरक्षा का अधिकार प्रदान करती है, जिससे वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। हालांकि, यह आवश्यक है कि इस योजना को सावधानीपूर्वक लागू किया जाए, ताकि सामाजिक संतुलन बना रहे और किसी भी प्रकार की गलतफहमी से बचा जा सके।

यह निर्णय असम सरकार की ‘जाति, माटी और भेती’ की रक्षा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और स्वदेशी समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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