समग्र समाचार सेवा बैंगलुरु, 26 मई -कर्नाटक की राजनीति में एक नया विवाद उभर आया है। राज्य सरकार द्वारा रामनगर जिले का नाम बदलकर बैंगलुरु, 26 मई -कर्नाटक की राजनीति में एक नया विवाद उभर आया है। राज्य सरकार द्वारा रामनगर जिले का नाम बदलकर “बेंगलुरु साउथ” रखने के फैसले ने विपक्षी दलों को आक्रोशित कर दिया है। उनका आरोप है कि यह कदम ज़मीन माफिया के हितों को साधने के लिए उठाया गया है, जिससे कृषि भूमि की कीमतें आसमान छूने लगेंगी और किसानों को नुकसान होगा।
विपक्ष के आरोप:
पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह निर्णय प्रशासनिक सुविधा के लिए नहीं, बल्कि रियल एस्टेट हितों को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार पर आरोप लगाया कि वे एक व्यवसायी पहले हैं और राजनेता बाद में। कुमारस्वामी ने कहा, “रामनगर का नाम बदलकर बेंगलुरु साउथ करने से हजारों एकड़ कृषि भूमि की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उनके और उनके सहयोगियों के ज़मीनों का मूल्य कई गुना बढ़ जाएगा।”
केंद्रीय मंत्री का बयान:
केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने भी इस फैसले की निंदा की और इसे “ज़मीन माफिया द्वारा संचालित एक पूर्व नियोजित ऑपरेशन” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम किसानों के हितों की अनदेखी करता है और शहरी विस्तार के नाम पर ज़मीन हड़पने की साजिश है।
सरकार की प्रतिक्रिया:
उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि नाम परिवर्तन का उद्देश्य प्रशासनिक सुविधा और क्षेत्रीय विकास है। उन्होंने कहा कि यह फैसला जनता के हित में लिया गया है और इसका कोई निजी लाभ नहीं है।
रामनगर का नाम बदलकर बेंगलुरु साउथ करने का फैसला राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है। विपक्ष इसे ज़मीन माफिया के हितों को साधने वाला कदम बता रहा है, जबकि सरकार इसे विकासोन्मुखी निर्णय कह रही है। इस विवाद का समाधान तभी संभव है जब सरकार पारदर्शिता बरते और जनता के हितों को सर्वोपरि रखे।