पंजाब में AAP का ‘भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार’ का खेल: रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी — ईमानदारी या राजनीतिक नौटंकी?
समग्र समाचार सेवा पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) एक बार फिर कटघरे में है। जालंधर सेंट्रल से विधायक रमन अरोड़ा की भ्रष्टाचार के आरोप में पंजाब ,26 मई –पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) एक बार फिर कटघरे में है। जालंधर सेंट्रल से विधायक रमन अरोड़ा की भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी ने न केवल राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया है, बल्कि पार्टी की तथाकथित ‘ईमानदार’ छवि पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जहाँ एक ओर पार्टी इस गिरफ्तारी को ‘कानून का पालन’ और ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’ नीति का हिस्सा बता रही है, वहीं विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरफ्तारी एक सोची-समझी राजनीतिक नौटंकी भी हो सकती है — जिसमें दोष भी दिखाना है और चेहरा भी बचाना है।
केजरीवाल की ‘ईमानदारी’ मॉडल की पोल?
AAP की राजनीति की नींव ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर रखी गई थी। लेकिन विडंबना यह है कि अब उसी पार्टी के विधायक और मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसते जा रहे हैं।
दिल्ली में शराब नीति घोटाले में खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और जेल यात्रा पहले से ही पार्टी के लिए बड़ा झटका थी। अब पंजाब में भी पार्टी के विधायक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना दर्शाता है कि ‘ईमानदारी का मॉडल’ अब केवल भाषणों तक ही सीमित रह गया है।
जनसभाओं में कांग्रेसी नेताओं की फाइलें लहराने वाले केजरीवाल की अपनी ही पार्टी अब उन्हीं दोषों में घिरती जा रही है।
AAP का डैमेज कंट्रोल या असली कार्रवाई?
रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी को लेकर यह तर्क भी दिया जा रहा है कि AAP खुद ही इस कार्रवाई के जरिए अपनी छवि को ‘ईमानदार’ दिखाना चाहती है। राजनीतिक रणनीति के तहत एक विधायक की बलि देकर पार्टी जनता को यह संदेश देना चाहती है कि उसके लिए ‘भ्रष्टाचार किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं’।
लेकिन सवाल यह भी है कि क्या कार्रवाई केवल उन्हीं नेताओं पर होती है जो हाईकमान की लाइन से हटते हैं? क्या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की भूमिका पर सवाल उठाने वालों को ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है?
पंजाब में गिरती साख और विपक्ष का वार
पंजाब में आम आदमी पार्टी की साख लगातार गिरती नजर आ रही है। एक ओर जहां बिजली, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर सरकार निशाने पर है, वहीं अब भ्रष्टाचार के मामलों ने इसे और कमजोर कर दिया है।
विपक्षी दलों — खासकर कांग्रेस और बीजेपी — ने रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी को लेकर AAP पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि “AAP अब कांग्रेस की ही तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हो गई है”, वहीं बीजेपी ने कहा कि “जो पार्टी झाड़ू लेकर आई थी, अब उसी झाड़ू से घोटाले ढंक रही है।”
रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी केवल एक विधायक की कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि AAP की राजनीति, नीतियों और साख के लिए एक गंभीर चुनौती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या आम आदमी पार्टी इस ‘भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार के खेल’ से खुद को निकाल पाएगी, या जनता का भरोसा पूरी तरह डगमगा जाएगा।