समग्र समाचार सेवा बेंगलुरु, 23 मई: कर्नाटक सरकार ने बॉलीवुड अभिनेत्री तमन्ना भाटिया को कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट्स लिमिटेड (KSDL) बेंगलुरु, 24 मई: कर्नाटक सरकार ने बॉलीवुड अभिनेत्री तमन्ना भाटिया को कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट्स लिमिटेड (KSDL) काआधिकारिक ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है। यह वही सरकारी कंपनी है जो कर्नाटक की पहचान माने जाने वाले मैसूर सैंडल सोप का उत्पादन करती है। बुधवार को जारी एक सरकारी आदेश के अनुसार, तमन्ना को दो साल और दो दिन के कार्यकाल के लिए 6.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा।
हालांकि इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है। लोगों ने सवाल उठाए हैं कि कर्नाटक की विरासत से जुड़ी एक परंपरागत ब्रांड के लिए किसी गैर-कन्नड़ अभिनेत्री को क्यों चुना गया, जबकि राज्य में ही कई प्रतिभाशाली युवा कन्नड़ अभिनेत्रियां मौजूद हैं।
‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने सवाल किया, “जब @AshikaRanganath जैसी लोकल कन्नड़ एक्ट्रेस मौजूद हैं, तो हिंदी फिल्मों की एक्ट्रेस को क्यों प्रमोट किया जा रहा है?”
सरकार का जवाब: ‘कर्नाटक का गौरव अब राष्ट्रीय ब्रांड’
बढ़ते विरोध के बीच गुरुवार को कर्नाटक के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री एम.बी. पाटिल ने इस विवाद पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि यह फैसला गहन विचार-विमर्श के बाद किया गया है और इसका मकसद है कि मैसूर सैंडल ब्रांड को कर्नाटक से बाहर के बाजारों में भी मजबूती से स्थापित किया जाए।
पाटिल ने स्पष्ट किया, “KSDL को कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के प्रति गहरा सम्मान है। आज कई कन्नड़ फिल्में बॉलीवुड़ फिल्मों से टक्कर ले रही हैं। मगर हमारा उद्देश्य यह भी है कि मैसूर सैंडल की पहुंच केवल कर्नाटक तक सीमित न रहे, बल्कि यह पूरे देश में अपना प्रभाव जमाए।”
‘PSU बोर्ड ने लिया स्वतंत्र और रणनीतिक फैसला’
मंत्री पाटिल ने यह भी कहा कि तमन्ना की नियुक्ति KSDL के बोर्ड द्वारा विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद एक स्वतंत्र रणनीतिक निर्णय के रूप में की गई है। उन्होंने कहा कि ब्रांड एंबेसडर के चयन में कई पहलुओं पर विचार किया गया—जैसे कि नॉन-कंपिट एग्रीमेंट्स, सोशल मीडिया पहुंच, ब्रांड से मेल खाना, उत्पाद की प्रकृति, लक्षित बाजार, और समग्र मार्केटिंग प्रभाव।
पाटिल ने कहा, “कर्नाटक का गौरव, राष्ट्र का रत्न भी है। मैसूर सैंडल सिर्फ एक साबुन नहीं, बल्कि एक प्रतीक है, जिसे हम वैश्विक स्तर पर स्थापित करना चाहते हैं।”
5000 करोड़ रुपये का टारगेट
मंत्री ने बताया कि KSDL ने 2028 तक 5,000 करोड़ रुपये का सालाना राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने इस नियुक्ति को उस दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम बताया।
“मैसूर सैंडल ब्रांड की कर्नाटक में पहचान पहले से मजबूत है, मगर अब हम इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रयासरत हैं,” पाटिल ने कहा।
स्थानीय प्रतिभाओं की अनदेखी या रणनीतिक कदम?
जहाँ सरकार इस कदम को रणनीतिक विस्तार बता रही है, वहीं विरोध करने वाले इसे कर्नाटक की सांस्कृतिक उपेक्षा मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह बहस तेज होती जा रही है कि क्या ब्रांड की पहचान को बनाए रखते हुए भी देशव्यापी मार्केटिंग की जा सकती थी, या फिर इसके लिए किसी स्थानीय चेहरे को सामने लाना अधिक उपयुक्त होता?
इस बहस के बीच एक बात स्पष्ट है—मैसूर सैंडल अब सिर्फ एक कर्नाटक का ब्रांड नहीं रहना चाहता, बल्कि वह खुद को भारत के हर कोने में और शायद दुनिया में भी एक गौरवशाली पहचान दिलाना चाहता है। सवाल यह है कि क्या यह सपना बिना स्थानीय अस्मिता को आहत किए पूरा हो सकता है?