ऑपरेशन ‘सिंदूर’: कान्स से किरणा हिल्स तक एक नेरेटिव का पतन कान्स 2025 ,जब ऐश्वर्या राय और हायाद्री का सिंदूर बना वैश्विक विमर्श

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समग्र समाचार सेवा नई  दिल्ली, 23 मई “जिस सिंदूर को वो पिछड़ेपन की निशानी बताते थे, आज वही दुनिया भर में शौर्य, संस्कृति और स्त्री सम्मान नई दिल्ली, 23 मई “- जिस सिंदूर को वो पिछड़ेपन की निशानी बताते थे, आज वही दुनिया भर में शौर्य, संस्कृति और स्त्री सम्मान का प्रतीक बन गया है।” फ्रांस के कान्स फिल्म फेस्टिवल में इस बार का रेड कार्पेट सिर्फ फैशन का प्रदर्शन नहीं था, यह सांस्कृतिक और वैचारिक टकराव का प्रतीक बन गया। ऐश्वर्या राय बच्चन जब पारंपरिक भारतीय परिधान में, माँग  में सिंदूर सजाए, शालीनता और गरिमा के साथ रेड कार्पेट पर उतरीं, तो पूरी दुनिया का कैमरा वहीं ठहर गया। लेकिन इससे ज़्यादा ठहर गया एक नेरेटिव — उस सिंदूर का, जिसे तथाकथित प्रगतिशील तबका ‘पितृसत्ता की ज़ंजीर’ बताता रहा है।

लेकिन कान्स में जो हुआ, उसने इस विमर्श को हिला दिया। ऐश्वर्या का वह सिंदूर, वह नारी शक्ति का प्रतीक बन गया — स्वैच्छिक संस्कृति अपनाने का साहस, भारतीय स्त्रीत्व का सार्वजनिक उत्सव। यही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ था — एक नेरेटिव युद्ध, जो पश्चिमी मीडिया और कुछ घरेलू प्रोपेगेंडा शक्तियों के विरुद्ध लड़ा गया, और इसमें भारत की सांस्कृतिक अस्मिता की विजय हुई।

पाकिस्तान क्यों परेशान है?

अब सवाल यह है कि पाकिस्तान को ऐश्वर्या राय और उनके सिंदूर से क्या परेशानी? असल में पाकिस्तान की परेशानी सिर्फ एक अभिनेत्री से नहीं है, बल्कि उस आत्मविश्वासी सांस्कृतिक राष्ट्र से है, जो अब अपने मूल्यों को छिपाता नहीं, बल्कि गर्व से दुनिया के सामने रखता है।

पाकिस्तानी मीडिया और थिंक टैंक्स के बीच ऐश्वर्या की तस्वीरें चिंता का विषय बन गई हैं। वो इसे ‘हिंदुत्व का सॉफ्ट पावर प्रसार’ बता रहे हैं। उन्हें यह डर है कि भारतीय संस्कृति का यह आत्मविश्वास, दक्षिण एशिया में भारत की वैचारिक श्रेष्ठता को और मजबूत करेगा। खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान की पहचान धार्मिक कट्टरता और अस्थिरता से जुड़ी हो गई है।

किराना हिल्स: एक चेतावनी जो नस्लें याद रखेंगी

अब आइए बात करते हैं उस घटना की जो भारत-पाक विमर्श से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है — किरणा हिल्स, पाकिस्तान। हाल ही में सामने आए प्रमाणों और उपग्रह चित्रों से संकेत मिले हैं कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित किरणा हिल्स क्षेत्र में कथित रूप से रेडियोधर्मी लीक हुआ है।

यह वही क्षेत्र है जहां 1970-80 के दशक में पाकिस्तान ने चीन की मदद से परमाणु परीक्षण की तैयारी की थी। अब माना जा रहा है कि वहीं किसी गुप्त सैन्य परियोजना या प्लूटोनियम डंपिंग के कारण रेडिएशन लीक हुआ है। इसका असर सतह पर नहीं, बल्कि आने वाली नस्लों पर पड़ेगा — डीएनए म्यूटेशन, जन्म दोष, कैंसर और पीढ़ियों तक चलने वाली बीमारी।

इस रेडिएशन त्रासदी को लेकर पाकिस्तान सरकार मौन है, लेकिन सोशल मीडिया पर स्थानीय नागरिकों की चीखें गूंज रही हैं। यही वह पाखंड है जिसे भारत बार-बार वैश्विक मंच पर उजागर करता रहा है — एक ऐसा पड़ोसी देश, जो न खुद सुरक्षित है, न दूसरों को सुरक्षित रहने देता है।

किराना से कान्स तक: दो तस्वीरें, एक संदेश

कान्स में सिंदूर और किरणा में रेडिएशन — ये दोनों घटनाएं प्रतीक हैं दो राष्ट्रों की दशा और दिशा के। भारत जहां अपनी संस्कृति, शक्ति और महिला सम्मान के प्रतीकों को विश्व मंच पर गर्व से प्रस्तुत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अपने ही लोगों से रेडिएशन के सच को छिपा रहा है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक फैशन स्टेटमेंट नहीं था, यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का हिस्सा था — सॉफ्ट पावर की वह रणनीति, जो बिना एक भी गोली चलाए वैश्विक मानस पर प्रभाव छोड़ती है। और ऐश्वर्या राय उस रणनीति की सहज राजदूत बन गईं।

भारत अब नेरेटिव्स की लड़ाई जीत रहा है

एक दौर था जब भारत को अपनी परंपराओं के लिए दुनिया में सफाई देनी पड़ती थी। आज वह दौर बदल चुका है। आज भारत न केवल टैंक और मिसाइलों से लड़ाई लड़ रहा है, बल्कि माइंडस्पेस और मीडिया नैरेटिव की लड़ाई भी जीत रहा है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसका उदाहरण है। पाकिस्तान की किरणा हिल्स त्रासदी इसका प्रमाण है कि झूठ और प्रोपेगेंडा की नींव पर बना कोई भी देश न टिकता है, न लोगों को बचा पाता है।

अंत में एक पंक्ति:

“जब एक देश अपनी सांस्कृतिक जड़ों को गर्व से स्वीकार कर विश्वमंच पर उतरे, और दूसरा देश अपनी त्रासदियों को छुपाता फिरे — तब दुनिया तय करती है कि अगला नेतृत्व किसका होगा।”

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