बांग्लादेश में सियासी भूचाल! अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस इस्तीफे की तैयारी में, सेना और राजनीतिक दलों से बढ़ा तनाव
समग्र समाचार सेवा
ढाका, 23 मई :बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल के मुहाने पर खड़ा है। देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के इस्तीफे की खबरें तेज़ हो गई हैं। बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार, यूनुस ने नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के प्रमुख नाहिद इस्लाम से बातचीत में मौजूदा हालात में काम करना असंभव बताया है।
NCP, जो छात्र आंदोलन ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ (SAD) से निकली है, ने फरवरी में ही यूनुस का समर्थन किया था। SAD ने ही पिछले साल प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
सेना और यूनुस के बीच बढ़ते मतभेद
बीते दो दिनों में यूनुस की अंतरिम सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। सबसे गंभीर चुनौती बांग्लादेश की सेना से टकराव को लेकर सामने आई है। खबर है कि सेना और यूनुस के बीच संबंधों में गहरी दरार आ गई है।
यूनुस की ताजपोशी के वक्त सेना ने ही हसीना को भारत सुरक्षित पहुँचाने में मदद की थी और नए राजनीतिक संतुलन को समर्थन दिया था। लेकिन अब वही सेना उनके साथ नहीं खड़ी दिखाई दे रही।
इस्लाम का कहना है कि अगर यूनुस को राजनीतिक दलों का भरोसा और समर्थन नहीं मिलता, तो उनके पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। “अगर अब राजनीतिक दल ही उन्हें हटाना चाहते हैं, तो वे क्यों टिके रहें?”—इस्लाम ने कहा।
छात्र आंदोलन से उपजी सत्ता, अब समर्थन खोती दिख रही
गौरतलब है कि SAD ने जब पिछले वर्ष हसीना सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था, तो यूनुस को एक तटस्थ और ईमानदार विकल्प के रूप में सामने लाया गया। लेकिन अब वही यूनुस मौजूदा तंत्र से हताश दिखाई दे रहे हैं।
इस्लाम ने उन्हें समझाने की कोशिश की, “देश की सुरक्षा, भविष्य और जनआंदोलन की उम्मीदों के लिए आपको मज़बूत रहना होगा।”
क्या यह इस्तीफा बांग्लादेश को और गहरे संकट में धकेलेगा?
अगर यूनुस सचमुच इस्तीफा देते हैं, तो बांग्लादेश में एक बार फिर से सत्ता शून्यता की स्थिति पैदा हो सकती है। राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान, सेना की भूमिका और NCP जैसे उभरते संगठनों के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बांग्लादेश का भविष्य अब कई अनुत्तरित प्रश्नों के घेरे में है:
- क्या यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे या इस्तीफा दे देंगे?
- क्या राजनीतिक दल अंततः एकमत हो पाएंगे?
- क्या सेना कोई निर्णायक कदम उठाएगी?
- क्या SAD और NCP इस बार भी वैसा ही प्रभाव दिखा पाएंगे?
इन सवालों के जवाब आने वाले कुछ घंटों और दिनों में बांग्लादेश की राजनीति की दिशा तय करेंगे ।