केरल में जमात-ए-इस्लामी द्वारा शुक्रवार को ‘पैलेस्टाइन डे’ मनाने की घोषणा, चुनावी संदर्भ में सीपीआई(एम) और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की प्रतिक्रिया

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समग्र समाचार सेवा केरल में जमात-ए-इस्लामी द्वारा शुक्रवार को ‘पैलेस्टाइन डे’ मनाने की घोषणा, चुनावी संदर्भ में सीपीआई(एम) और मुख्यम   केरल ,23 मई–     केरल  में आगामी स्थानीय विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र राजनीतिक हलकों में एक नया विवाद उभरा है। जमात-ए-इस्लामी केरल ने 22 मई, 2025 को घोषणा की कि वे राज्यभर में हर शुक्रवार को ‘पैलेस्टाइन डे’ के रूप में मनाएंगे। इस दिन, जमात के सदस्य मस्जिदों में एकत्र होकर फिलिस्तीनियों के लिए विशेष प्रार्थनाएँ करेंगे।

इस घोषणा के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 21 मई को इज़राइल की निंदा करते हुए कहा, “जो लोग मानवता से डरते नहीं हैं, उन्हें इज़राइल द्वारा किए जा रहे नरसंहार को रोकने के लिए एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए।” उन्होंने यह भी दावा किया कि फिलिस्तीनियों को आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो इज़राइल द्वारा लगाए गए नाकाबंदी के कारण है।

सीपीआई(एम) ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। पार्टी ने हमास के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले महीने में 2,037 बच्चों की मौत हो चुकी है और 7 अक्टूबर, 2023 से अब तक 53,384 गाज़ावासियों की मृत्यु हो चुकी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीपीआई(एम) और जमात-ए-इस्लामी के बीच यह नज़दीकी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकती है, विशेषकर उत्तर केरल में मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए।

हालांकि, इस गठजोड़ को लेकर आलोचनाएँ भी उठ रही हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सीपीआई(एम) का यह कदम धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है और राज्य की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।

इस घटनाक्रम ने केरल की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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