आज का भगवद् चिंतन
महान व्यक्तित्व की अपनी एक विशिष्टता होती है। जिस प्रकार कस्तूरी की पहचान उसकी सुगंधी से होती है,उसी प्रकार व्यक्तित्व की भी अपनी एक सुगंधी होती है, जिसे बताया अथवा दिखाया तो नहीं जा सकता केवल महसूस किया जा सकता है। स्वभाव में ही किसी व्यक्ति का प्रभाव झलकता है। व्यक्तित्व की भी अपनी भाषा होती है जो कलम या जिह्वा के प्रयोग के बिना भी लोगों के अंतर्मन को छू जाती है।
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सिंहासन पर बैठकर व्यक्तित्व महान नहीं बनता अपितु महान व्यक्तित्व एक दिन जन-जन के हृदय सिंहासन पर अवश्य बैठ जाता है। सिंहासन पर बैठना जीवन की उपलब्धि हो अथवा नहीं लेकिन किसी के हृदय में बैठना जीवन की वास्तविक उपलब्धि अवश्य है। राज सिंहासन पर बैठ सको न बैठ सको लेकिन किसी के हृदय सिंहासन पर बैठ सको तो समझना चाहिए कि आपका जीवन सार्थक हो गया है।
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