असम में बड़ा विवाद: लेखक इस्माइल हुसैन आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर गिरफ्तार

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 मई ।
असम में एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच की सीमा चर्चा में आ गई है। प्रख्यात लेखक और सामाजिक टिप्पणीकार इस्माइल हुसैन को असम पुलिस ने शुक्रवार को आपत्तिजनक सोशल मीडिया टिप्पणियों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

हुसैन पर आरोप है कि उन्होंने हाल ही में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ ऐसी टिप्पणियां कीं, जिन्हें धार्मिक भावना को आहत करने वाला और सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाला बताया गया है।

जैसे ही उनकी पोस्ट वायरल हुई, सोशल मीडिया पर विरोध की बाढ़ आ गई। कुछ यूज़र्स ने इसे “सोची-समझी साजिश” करार दिया तो वहीं कई लोगों ने इसे “लेखन की आज़ादी पर हमला” बताते हुए हुसैन का समर्थन भी किया।

गुवाहाटी पुलिस ने इस्माइल हुसैन के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A (धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना), 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करना) और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

पुलिस अधिकारी ने प्रेस को बताया, “हमारे पास पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक सबूत हैं कि उनकी पोस्ट से समुदाय विशेष की भावनाएं आहत हुई हैं। जांच जारी है और कानून अपना काम करेगा।”

इस गिरफ्तारी ने बुद्धिजीवी वर्ग और सोशल एक्टिविस्ट्स के बीच नई बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे लेखकीय अभिव्यक्ति पर हमला मान रहे हैं, जबकि अन्य का कहना है कि सोशल मीडिया कोई ‘नो-रूल ज़ोन’ नहीं है — जहाँ जो चाहे, जब चाहे, कहा जाए।

इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इसे सरकार की आलोचना को दबाने की कोशिश बताया, जबकि सत्ता पक्ष ने कहा कि “कानून का पालन सभी पर समान रूप से लागू होता है, चाहे वो लेखक हो या आम नागरिक।”

फिलहाल इस्माइल हुसैन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और उनके वकीलों ने जमानत याचिका दायर कर दी है। आने वाले दिनों में यह केस अभिव्यक्ति की सीमा बनाम समाजिक जिम्मेदारी की एक मिसाल बन सकता है।

बहरहाल, असम में यह मामला अब सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि विचारों की आज़ादी और सामाजिक मर्यादा के टकराव का प्रतीक बन चुका है।

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