“भारत के सामने घुटनों पर पाकिस्तान! पहले पानी की भीख, अब बातचीत की दुहाई”

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 मई ।
दुनिया की नजरों में बार-बार किरकिरी झेल चुका पाकिस्तान अब भारत के सामने गिड़गिड़ाता नजर आ रहा है। आतंकवाद को पालने-पोसने वाला ये देश आज खुद अपने ही बनाए जाल में उलझ चुका है। आर्थिक बदहाली, राजनीतिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिलती फटकार के बाद अब पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के सामने नरमी दिखाने की कोशिश की है।

हाल ही में पाकिस्तान की ओर से भारत के साथ बातचीत बहाल करने का प्रस्ताव सामने आया है। ये वही पाकिस्तान है जो अभी कुछ समय पहले तक भारत के खिलाफ जहर उगल रहा था। लेकिन अब हालत ये हो गई है कि पहले सिंधु जल संधि के तहत पानी के मसले पर पाकिस्तान भारत से राहत की गुहार लगाता नजर आया और अब बातचीत का ऑफर देकर खुद को “शांति का पुजारी” साबित करने में जुट गया है।

दरअसल, पाकिस्तान इस समय भारी आर्थिक संकट और कूटनीतिक अलगाव का सामना कर रहा है। IMF की शर्तों की तलवार पहले से ही लटक रही है और चीन जैसे “मित्र” भी अब कंधा झटक चुके हैं। ऐसे में पाकिस्तान को समझ आ गया है कि भारत से टकराव की नीति उसे ले डूबेगी।

भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते। जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को खत्म नहीं करता, तब तक किसी भी तरह की बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। भारत अब पहले की तरह भावुक कूटनीति नहीं बल्कि दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की यह ‘शांति की पेशकश’ सिर्फ अंतरराष्ट्रीय दबाव और घरेलू असंतोष को शांत करने की चाल है। भारत को ऐसे किसी भी छलावे में नहीं फंसना चाहिए। बातचीत तभी संभव है जब पाकिस्तान अपने आचरण में ठोस और स्थायी बदलाव लाए।

पाकिस्तान का ये ‘बातचीत वाला पैंतरा’ नया नहीं है, लेकिन इस बार उसकी हताशा साफ झलक रही है। भारत अब बदल चुका है — जो न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा करना जानता है, बल्कि पानी जैसी रणनीतिक संपत्ति पर भी सख्त निर्णय लेने में संकोच नहीं करता। पाकिस्तान को समझना होगा कि भारत कोई कमजोर कड़ी नहीं, बल्कि एक वैश्विक शक्ति बन चुका है।

अब सवाल ये है: क्या भारत पाकिस्तान के इस नए ड्रामे का हिस्सा बनेगा या एक बार फिर कूटनीतिक चुप्पी से उसे आईना दिखाएगा?

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