समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 मई — राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक ऐतिहासिक समारोह में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। यह नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका में समावेश और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, क्योंकि जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बने हैं।
जस्टिस गवई ने जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो 65 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त हो गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य उपस्थित रहे।
24 नवम्बर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई का पारिवारिक पृष्ठभूमि जनसेवा से जुड़ा रहा है। उनके पिता, आर.एस. गवई, एक प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) के संस्थापक और तीन राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं। राजनीति की बजाय कानून का मार्ग चुनते हुए, जस्टिस गवई ने बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत की शुरुआत की और 2003 में न्यायाधीश नियुक्त हुए। मई 2019 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया।
अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण और चर्चित मामलों की सुनवाई की, और संतुलित व सिद्धांतपरक निर्णयों के लिए प्रसिद्ध हुए। उनकी नियुक्ति को भारतीय न्याय प्रणाली में विविधता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक प्रतीकात्मक कदम माना जा रहा है।
शपथ लेने के बाद का एक भावुक क्षण तब आया जब जस्टिस गवई ने अपनी माँ के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, जो उनके विनम्र और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक है।
जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवम्बर 2025 तक रहेगा। न्याय और ईमानदारी के सिद्धांतों पर चलते हुए, उनसे अपेक्षा की जा रही है कि वे भारत की न्यायिक प्रणाली को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।