समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 मई । भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक बार फिर गरमा गया है। इस बार वजह बनी है चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों के नाम बदलने की कोशिश, जिसे भारत ने सख्त शब्दों में खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने चीन के इस कदम को “बेहूदा” और “निरर्थक” करार देते हुए दो टूक कहा है कि इससे जमीनी हकीकत बदलने वाली नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा,
“हमने देखा है कि चीन बार-बार भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने का व्यर्थ प्रयास कर रहा है। भारत ऐसे किसी भी प्रयास को सिरे से खारिज करता है।”
चीन अरुणाचल प्रदेश को “दक्षिण तिब्बत” बताकर उस पर अपना दावा जताता रहा है। अब उसने फिर से कुछ स्थानों को चीनी नाम देने का दांव चला है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि नाम बदलने की चालें सच्चाई को नहीं झुठला सकतीं।
रंधीर जायसवाल ने दोहराया,
“रचनात्मक नामकरण से यह निर्विवाद सच्चाई नहीं बदल सकती कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा।”
यह पहला मौका नहीं है जब बीजिंग ने ऐसी हरकत की हो। इससे पहले 2017, 2021 और 2023 में भी चीन ने इसी तरह की सूचियाँ जारी की थीं, जिन पर भारत ने उसी सख्ती से आपत्ति जताई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन की एक रणनीति है — “कार्टोग्राफिक वॉरफेयर” यानी नक्शों और नामों के जरिए धीरे-धीरे क्षेत्रीय प्रभुत्व जताने की कोशिश। अंतरराष्ट्रीय नियमों और सीमा समझौतों के खिलाफ जाकर इस तरह की चालें तनाव और बढ़ाने वाली हैं।
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पहले से ही तनाव बना हुआ है। 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में ठंडापन है। ऐसे में चीन द्वारा नाम बदलने की यह चाल संवाद के रास्ते को और कठिन बना सकती है।
भारत ने एक बार फिर दोहराया है कि वह अपने क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और चीन को सीमाई क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए पारस्परिक समझौतों का सम्मान करना चाहिए।
भारत ने जिस स्पष्टता और दृढ़ता से चीन को जवाब दिया है, वह यह बताता है कि कूटनीतिक चालों और नक्शों के फेर से न तो भारत दबेगा और न ही पीछे हटेगा। अरुणाचल भारत का था, है और रहेगा — यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक सख्त संदेश है बीजिंग को।