आकस्मिक व्यय से तनाव रहेगा। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। विवेक से कार्य करें। स्थानीय धर्मस्थल की परिवार के साथ यात्रा होगी। पार्टनर से मतभेद समाप्त होगा। नौकरी में अधिकारी का सहयोग तथा विश्वास मिलेगा। पारिवारिक व्यस्तता रहेगी।
लेनदारी वसूल होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। शत्रु भय रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में ग्राहकी अच्छी रहेगी। नौकरी में कार्य व्यवहार, ईमानदारी की प्रशंसा होगी। मशक्कत करने से लाभ होगा। चिंता होगी। शत्रु पराजित होंगे।
मिथुन
कारोबारी नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्त्री कष्ट संभव। कलह से बचें। कार्य में सफलता, शत्रु पराजित होंगे। विवेक से कार्य बनेंगे। पेट रोग से पीड़ित होने की संभावना। वस्त्राभूषण की प्राप्ति के योग।
कर्क
यात्रा सफल रहेगी। विवाद न करें। लेन-देन में सावधानी रखें। कानूनी बाधा दूर होगी। देव दर्शन होंगे। राज्य से लाभ होने की संभावना। मातृपक्ष की चिंता। वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। धनागम की संभावना। मित्र मिलेंगे। विवाद न करें।
सिंह
प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। झंझटों में न पड़ें। आगे बढ़ने के मार्ग मिलने की संभावना। शत्रु पराजित होंगे। लाभ होगा। स्वास्थ्य ठीक न हो। अनजाना भय सताएगा। राज्य से लाभ। शत्रु शांत होंगे।
कन्या
बेचैनी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। नेत्र पीड़ा की संभावना। धनलाभ एवं बुद्धि लाभ होगा। शत्रु से परेशान होंगे। अपमान होने की संभावना। कष्ट की संभावना। धनहानि। कष्ट-पीड़ा। शारीरिक पीड़ा होगी।
तुला
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। भागदौड़ रहेगी। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। धनागम सुस्त रहेगा। कार्य के प्रति अनमनापन रहेगा। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। कुछ लाभ की संभावना। चिंताएं कुछ कम होंगी।
वृश्चिक
लेन-देन में सावधानी रखें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शत्रु पर विजय, हर्ष के समाचार मिलने की संभावना। कुसंग से हानि। धनागम सुखद रहेगा। प्रेमिका मिलेगी। कुछ आय होगी। माता को कष्ट रहेगा।
धनु
भय, पीड़ा व भ्रम की स्थिति बन सकती है। व्यर्थ भागदौड़ होगी। भय-पीड़ा, मानसिक कष्ट की संभावना। लाभ तथा पराक्रम ठीक रहेगा। दु:समाचार प्राप्त होंगे। हानि तथा भय की संभावना, पराक्रम से सफलता, कलहकारी वातावरण बनेगा। भयकारक दिन रहेगा।
मकर
जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। घर-बाहर अशांति रह सकती है। प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा के योग बनेंगे। कुछ कष्ट होने की संभावना। लाभ के योग बनेंगे। स्त्री वर्ग को कष्ट। कुसंग से कष्ट। कलहकारक दिन रहेगा। अपनी तरफ से बात को बढ़ावा न दें।
कुंभ
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। पुराने मित्र व संबंधी मिलेंगे। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। विरोध की संभावना, धनहानि, गृहस्थी में कलह, रोग से घिरने की संभावना, कुछ कार्यसिद्धि की संभावना। चिंताएं जन्म लेंगी। स्त्री पीड़ा, कुछ लाभ की आशा करें।
मीन
रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। परिवार की चिंता रहेगी। लाभ होगा। अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। चिंता से मुक्ति नहीं मिलेगी। शत्रु दबे रहेंगे। कलह-अपमान से बचें। संभावित यात्रा होगी। सावधानी बरतना होगी।
*श्री राम जानकी पंचांगम्*
*दिनांक:- 14/05/2025, बुधवार*
द्वितीया, कृष्ण पक्ष,
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””“””””(समाप्ति काल)
तिथि———- द्वितीया 26:28:31 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——— अनुराधा 11:46:02
योग———— परिघ 06:32:49
करण———– तैतुल 13:34:05
करण————– गर 26:28:31
वार———————- बुधवार
माह———————— ज्येष्ठ
चन्द्र राशि————— वृश्चिक
सूर्य राशि——- मेष 24:11:20
सूर्य राशि—————- वृषभ
रितु———————— ग्रीष्म
आयन——————-उत्तरायण
संवत्सर—————– विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)————— सिद्धार्थी
विक्रम संवत————— 2082
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————– 1947
कलि संवत—————– 5126
वृन्दावन
सूर्योदय————– 05:32:13
सूर्यास्त————— 18:59:13
दिन काल———— 13:26:59
रात्री काल———— 10:32:26
चंद्रास्त————– 06:12:47
चंद्रोदय—————- 20:46:21
लग्न—- मेष 29°15′ , 29°15′
सूर्य नक्षत्र————— कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया—————— रजत
* पद, चरण *
ने—- अनुराधा 11:46:02
नो—- ज्येष्ठा 18:22:54
या—- ज्येष्ठा 24:58:38
* ग्रह गोचर *
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
============================
सूर्य= मेष 29°40, कृतिका 1 अ
चन्द्र= वृश्चिक 13°30 , अनुराधा 4 ला
बुध =मेष 14°52 ‘ अश्वनी 4 ला
शु क्र= मीन 17°05, उ o फाo’ 4 ञ
मंगल=कर्क 17°30 ‘ आश्लेषा’ 1 डी
गुरु=वृषभ 29°30 मृगशिरा, 2 वो
शनि=मीन 04°88 ‘ उ o भा o , 1 दू
राहू=(व) मीन 00°20 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 00°20 उ oफा o 2 टो
============================
* शुभा$शुभ मुहूर्त *
राहू काल 12:16 – 13:57 अशुभ
यम घंटा 07:13 – 08:54 अशुभ
गुली काल 10:35 – 12:16 अशुभ
अभिजित 11:49 – 12:43 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:49 – 12:43 अशुभ
वर्ज्यम 17:56 – 19:42 अशुभ
प्रदोष 18:59 – 21:07 शुभ
गंड मूल 11:46 – अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
लाभ 05:32 – 07:13 शुभ
अमृत 07:13 – 08:54 शुभ
काल 08:54 – 10:35 अशुभ
शुभ 10:35 – 12:16 शुभ
रोग 12:16 – 13:57 अशुभ
उद्वेग 13:57 – 15:37 अशुभ
चर 15:37 – 17:18 शुभ
लाभ 17:18 – 18:59 शुभ
चोघडिया, रात
उद्वेग 18:59 – 20:18 अशुभ
शुभ 20:18 – 21:37 शुभ
अमृत 21:37 – 22:56 शुभ
चर 22:56 – 24:15* शुभ
रोग 24:15* – 25:34* अशुभ
काल 25:34* – 26:54* अशुभ
लाभ 26:54* – 28:13* शुभ
उद्वेग 28:13* – 29:32* अशुभ
होरा, दिन
बुध 05:32 – 06:39
चन्द्र 06:39 – 07:47
शनि 07:47 – 08:54
बृहस्पति 08:54 – 10:01
मंगल 10:01 – 11:08
सूर्य 11:08 – 12:16
शुक्र 12:16 – 13:23
बुध 13:23 – 14:30
चन्द्र 14:30 – 15:37
शनि 15:37 – 16:45
बृहस्पति 16:45 – 17:52
मंगल 17:52 – 18:59
होरा, रात
सूर्य 18:59 – 19:52
शुक्र 19:52 – 20:45
बुध 20:45 – 21:37
चन्द्र 21:37 – 22:30
शनि 22:30 – 23:23
बृहस्पति 23:23 – 24:15
मंगल 24:15* – 25:08
सूर्य 25:08* – 26:01
शुक्र 26:01* – 26:54
बुध 26:54* – 27:46
चन्द्र 27:46* – 28:39
शनि 28:39* – 29:32
*उदयलग्न प्रवेशकाल *
मेष > 03:56 से 05:28 तक
वृषभ > 05:28 से 07:14 तक
मिथुन > 07:14 से 09:54 तक
कर्क > 09:54 से 12:08 तक
सिंह > 12:08 से 14:24 तक
कन्या > 14:24 से 16:40 तक
तुला > 16:40 से 18:52 तक
वृश्चिक > 18:52 से 21:20 तक
धनु > 21:20 से 23:28 तक
मकर > 23:28 से 01:06 तक
कुम्भ > 01:06 से 02:26 तक
मीन > 02:26 से 03:48 तक
=======================
*विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
* शिव वास एवं फल -:*
17 + 17 + 5 = 39 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
*भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
* विशेष जानकारी *
*छटी उत्सव राधावल्लभ जी
*सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 1146 तक
*सूर्य वृष में रात्रि 24:23 से
* शुभ विचार *
यस्मिन रुष्टे भयं नास्ति तुष्टे नैव धनागमः ।
निग्रहाऽनुग्रहोनास्ति स रुष्टः किं करिष्यति ।।
।। चा o नी o।।
जिसके डाटने से सामने वाले के मन में डर नहीं पैदा होता और प्रसन्न होने के बाद जो सामने वाले को कुछ देता नहीं है. वो ना किसी की रक्षा कर सकता है ना किसी को नियंत्रित कर सकता है. ऐसा आदमी भला क्या कर सकता है.
* सुभाषितानि *
गीता -: मोक्षसंन्यासयोग:- अo-18
काम्यानां कर्मणा न्यासं सन्न्यासं कवयो विदुः ।,
सर्वकर्मफलत्यागं प्राहुस्त्यागं विचक्षणाः ॥,
श्री भगवान बोले- कितने ही पण्डितजन तो काम्य कर्मों के (स्त्री, पुत्र और धन आदि प्रिय वस्तुओं की प्राप्ति के लिए तथा रोग-संकटादि की निवृत्ति के लिए जो यज्ञ, दान, तप और उपासना आदि कर्म किए जाते हैं, उनका नाम काम्यकर्म है।,) त्याग को संन्यास समझते हैं तथा दूसरे विचारकुशल पुरुष सब कर्मों के फल के त्याग को (ईश्वर की भक्ति, देवताओं का पूजन, माता-पितादि गुरुजनों की सेवा, यज्ञ, दान और तप तथा वर्णाश्रम के अनुसार आजीविका द्वारा गृहस्थ का निर्वाह एवं शरीर संबंधी खान-पान इत्यादि जितने कर्तव्यकर्म हैं, उन सबमें इस लोक और परलोक की सम्पूर्ण कामनाओं के त्याग का नाम सब कर्मों के फल का त्याग है) त्याग कहते हैं॥,2॥,