हताश पाकिस्तान ने तोड़ा अमेरिका से समझौता: JF-17 फेल होते ही F-16 से किया हमला, अब हो सकता है बड़ा एक्शन!
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,10 मई । पाकिस्तान की सेना एक बार फिर अपने मंसूबों में नाकाम होती नजर आ रही है। चीन से मिले JF-17 लड़ाकू विमानों की बार-बार तकनीकी विफलता के बाद पाकिस्तान ने अब अमेरिका से मिले F-16 विमानों को सीमा पर तैनात कर एक बेहद खतरनाक खेल खेला है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, हाल ही में सीमा पर हुई एक संदिग्ध कार्रवाई में पाकिस्तान ने F-16 का उपयोग किया है, जो अमेरिका के साथ हुए रक्षा समझौते का खुला उल्लंघन है।
पाकिस्तान लंबे समय से चीन के सहयोग से बने JF-17 थंडर को अपने वायुसेना के “रीढ़” की तरह प्रस्तुत करता रहा है, लेकिन सच्चाई ये है कि ये विमान न तो युद्ध के दौरान अपनी विश्वसनीयता साबित कर पाए हैं और न ही अत्याधुनिक तकनीक की कसौटी पर खरे उतरे हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में JF-17 विमानों में इंजन फेलियर, रडार जामिंग और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स की खराबी जैसी कई बड़ी दिक्कतें सामने आई हैं।
यह जानकर चौंकाने वाली बात है कि अमेरिका से मिले F-16 विमानों का प्रयोग पाकिस्तान सिर्फ “आतंकवाद विरोधी अभियानों” के लिए कर सकता है। यह शर्त अमेरिका-पाक रक्षा समझौते का हिस्सा रही है। मगर अब पाकिस्तान ने इस समझौते को धत्ता बताते हुए इन विमानों को सीमा पर भारतीय ठिकानों के नजदीक उड़ान भरते देखा गया है।
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने F-16 का प्रयोग भारत के खिलाफ किसी सैन्य कार्रवाई में किया है, तो यह सीधे-सीधे अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है और अमेरिका को इसमें हस्तक्षेप करना ही होगा। अमेरिका पहले ही चेतावनी दे चुका है कि उसके हथियारों का इस्तेमाल अनुचित परिस्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए।
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या अमेरिका पाकिस्तान पर कोई बड़ी कार्रवाई करेगा? सूत्रों का कहना है कि यदि पाकिस्तान का यह उल्लंघन साबित होता है, तो अमेरिका उसकी सैन्य सहायता रोक सकता है, और आगे F-16 के स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति पर भी रोक लग सकती है।
पाकिस्तान की यह हरकत उसकी गहरी हताशा और रणनीतिक विफलताओं को उजागर करती है। एक तरफ उसका भरोसा JF-17 पर से उठ गया है, दूसरी ओर अमेरिका के हथियारों का गलत इस्तेमाल उसे वैश्विक मंच पर और अलग-थलग कर सकता है।
क्या अब अमेरिका पाकिस्तान से सवाल करेगा? क्या भारत इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाएगा? आने वाले दिन दक्षिण एशिया के सामरिक संतुलन के लिए बेहद निर्णायक हो सकते हैं।