पूनम शर्मा
समग्र समाचार सेवा
8 मई 2025 – भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में देशभक्ति और राष्ट्रविरोधी ताकतों का संघर्ष कोई नया नहीं है। हर दौर में कुछ लोग ऐसे रहे हैं जिन्होंने व्यक्तिगत स्वार्थ, विदेशी षड्यंत्र या वैचारिक भ्रम के चलते अपने ही देश के खिलाफ काम किया। सवाल ये उठता है कि जब देश ने सबको समान अवसर, संविधानिक अधिकार और विकास के साधन दिए हैं, तो कुछ लोग फिर भी गद्दारी क्यों करते हैं? और इससे भी अहम सवाल – ऐसे गद्दारों के साथ देश को क्या करना चाहिए?
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि गद्दारी केवल सीमा पार जाकर दुश्मन देश की मदद करना ही नहीं होती। आज के दौर में गद्दारी विचारों, शब्दों और कुटिल राजनीति के जरिए भी की जाती है। कोई जब देश की एकता को तोड़ने की साजिश करता है, आतंकवादियों का समर्थन करता है, सेना के शौर्य पर सवाल उठाता है, या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को बदनाम करता है – ये भी आधुनिक गद्दारी के रूप हैं।गद्दारी की जड़ अक्सर वैचारिक स्तर पर होती है। कई विश्वविद्यालयों में राष्ट्रविरोधी विचारधारा के प्रचार के आरोप लग चुके हैं। जेएनयू में 2016 में लगे ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ नारों ने यह सवाल उठाया कि क्या शिक्षा संस्थानों में देशविरोधी एजेंडे को जगह दी जा रही है? पाठ्यक्रमों में राष्ट्रभक्ति, सच्चा इतिहास और संवैधानिक जिम्मेदारियों को शामिल करना जरूरी है।
भारत में हर जिले, हर कोने में ऐसे लोग मौजूद हैं जो अंदर ही अंदर देश के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। ये लोग विश्वविद्यालयों, मीडिया, सोशल मीडिया, एनजीओ, राजनीति और यहां तक कि प्रशासनिक तंत्र में भी घुसपैठ कर चुके हैं। कुछ पैसे के लालच में, कुछ वैचारिक दिवालियापन में, और कुछ व्यक्तिगत आकांक्षाओं में देश को बेचने को तैयार रहते हैं।भारत के पास यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act), एनएसए (National Security Act) जैसे सख्त कानून हैं, लेकिन इनके तहत मामलों का निपटारा सालों तक चलता है। गद्दारों को त्वरित और कठोर सजा मिलनी चाहिए ताकि कानून का भय कायम रहे। 2019 से 2024 के बीच UAPA के तहत 6,900 से अधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन सजा की दर केवल 2.2% रही। इस स्थिति को सुधारने की जरूरत है।
गद्दार जनता को बहकाने के लिए सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों, वीडियो और अभियान चलाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर महीने लगभग 50 लाख से अधिक फर्जी पोस्ट सोशल मीडिया पर फैलती हैं, जिनमें से कई देशविरोधी एजेंडे से प्रेरित होती हैं। जनता को तथ्य परखने, सच्चाई पहचानने और अफवाहों से दूर रहने के लिए जागरूक करना जरूरी है।
गद्दारों को विदेशी फंडिंग और हवाला नेटवर्क के जरिए पैसा मिलता है। 2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने 1800 करोड़ रुपये के हवाला रैकेट का भंडाफोड़ किया जो राष्ट्रविरोधी संगठनों को फंडिंग कर रहा था। ऐसे नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए आर्थिक एजेंसियों को और मजबूत करना होगा।
अब सवाल उठता है कि भारत को इनके साथ क्या करना चाहिए? सबसे पहले तो हमें कड़े कानूनों और त्वरित न्याय प्रणाली की जरूरत है। राजद्रोह, आतंकवाद, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों को लंबी कानूनी प्रक्रियाओं में उलझाकर छोड़ देना देश के साथ अन्याय है। देशद्रोहियों को जल्दी सजा मिले, और वह सजा इतनी कड़ी हो कि दूसरे गद्दारों के लिए सबक बन जाए – यह जरूरी है।
दूसरा, राष्ट्रविरोधी विचारधारा को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। इसके लिए शिक्षा तंत्र में सुधार जरूरी है ताकि युवाओं को सही इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति की भावना सिखाई जा सके। जिन संस्थानों में राष्ट्रविरोधी विचारों का अड्डा बन चुका है, वहां कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
तीसरा, जनता को सतर्क करना होगा। अक्सर ये गद्दार मासूम जनता को बहकाकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं। जागरूकता अभियान, सोशल मीडिया पर सच्चाई का प्रचार और गद्दारों के चेहरों को उजागर करना जरूरी है ताकि लोग इनके झांसे में न आएं।
चौथा, आर्थिक स्रोतों पर प्रहार करना जरूरी है। इन गद्दारों को फंडिंग देने वाले नेटवर्क – चाहे वो विदेशी हों या देशी – को खत्म करना जरूरी है। मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और विदेशी अनुदान के जरिए राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को मिलने वाली मदद को रोकने के लिए सख्त आर्थिक कानून लागू होने चाहिए।
आखिर में, हमें यह भी समझना होगा कि यह किसी एक वर्ग, जाति या धर्म में सीमित नहीं होते। गद्दारी एक मानसिकता है जो कहीं भी जन्म ले सकती है। इसलिए हर नागरिक को सतर्क रहना होगा, राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, और गद्दारी के खिलाफ आवाज उठानी होगी।
भारत को तब ही सशक्त राष्ट्र कहा जा सकेगा जब हर कोने में छुपे इन लोगों को बेनकाब कर, कानून के कठोर हाथों से उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता और सम्मान से बड़ा कोई अधिकार नहीं हो सकता। इनके लिए इस पवित्र भूमि में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।