26 भारतीय नारियों के सिंदूर का न्याय मात्र 25 मिनटों में !अकल्पनीय, अविश्वसनीय, अद्भुत ऑपरेशन सिंदूर – भारतीय नारी के सिंदूर की कीमत

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  कल्पना बोरा (गुवाहाटी  )
  कल्पना बोरा (गुवाहाटी  )

  जब 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम, जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों की हत्या की, उनका धर्म पूछने के बाद, तब आतंकवादियों ने महिलाओं (जिनके पतियों को उन्होंने मार डाला) से कहा – “अपने मोदी को बता देना कि हम हिंदुओं को जानबूझकर मार रहे हैं।और मोदी के भारत ने अपराध का जवाब दियाउचित न्याय के साथ।ऑपरेशन सिंदूर” 140 करोड़ लोगों के राष्ट्र का आतंकवाद के खिलाफ जवाब है। हिंदू धर्म में, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तोतेरहवींनामक धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाती है, जिसमें उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि दी जाती है, उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है, उसके अच्छे कर्मों को याद किया जाता है, और स्वयं को आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं। ऑपरेशन सिंदूर उन 22 निर्दोष आत्माओं की तेरहवीं है। यह उन भारतीय नारियों के सिंदूर की क़ीमत है, जो आतंकवादियों द्वारा छीन लिया गया। भारतीय नारी के मस्तक पर सजा लाल सिंदूर केवल रंग नहीं, अपितु उसका जीवन, उसका गौरव, उसकी शक्ति, उसका पवित्र सुहाग है। विवाह, जो हिंदू धर्म में एक अखंड और मंगलमयी बंधन है, उसका प्रतीक है यह सिंदूर। यह अनमोल है, अमूल्य है।  और आतंकवादियों ने उस सिंदूर की कीमत चुकाई है।

भारत के सभी धर्मों के नागरिक इस आतंकी हमले के खिलाफ विरोध कर रहे थे, एकजुट थे, और पूरे भारत में भावना थी कि पाकिस्तान को इस क्रूर आतंकी कृत्य को प्रायोजित करने के लिए सबक सिखाया जाना चाहिए। पाकिस्तान इस हमले के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले आतंकवादियों को सैन्य सुरक्षा दे रहा था। पाकिस्तान पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही सीमा पर युद्धविराम का उल्लंघन कर रहा है। यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के राज्यआधारित आतंकवाद के घिनौने चेहरे को उजागर करता है, जो कट्टरइस्लामी विचारधारा द्वारा समर्थित है। भारतीय विदेश सचिव ने कहा – “यह आवश्यक समझा गया कि पहलगाम हमले के अपराधियों और योजनाकारों कोजिसमें 26 लोग मारे गएन्याय के कटघरे में लाया जाए। ये कार्रवाइयांमापी गई, गैरवृद्धिकारी, समानुपातिक और जिम्मेदारथीं और इनका उद्देश्य आतंकी बुनियादी ढांचे कोनष्ट करनाऔर भारत में भेजे जाने वाले संभावित आतंकवादियों को निष्क्रिय करना था।

वर्षों से आतंकी यह दुष्कर्म करते आए हैं, निरंतर, निर्लज्ज रूप से। किंतु इस बार, उन्होंने अक्षम्य भूल की। आखिर कब तक यह कट्टर शक्तियों द्वारा पोषित आतंकवाद मासूमों का रक्त बहाता रहेगा? माताएं अपने सपूत खो देती हैं, नारियां अपने सुहाग, और बच्चे पिता की छत्रछाया। विश्व के कितने ही राष्ट्र इस आतंक से पीड़ित हैं। मानवता पर यह कायराना आघात अब और सहन नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने दृढ़ संकल्प लिया – “आतंकी चाहे जहां छिपे हों, उन्हें खोजकर समाप्त किया जाएगा। जो होगा उनकी कल्पना से परे होगा।और यह संकल्प साकार हुआ।

22 अप्रैल से भारत में अनवरत विचारमंथन चल रहा था। सरकार, सेना और सुरक्षा एजेंसियों के बीच गहन मंत्रणा हो रही थी। भारत के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने एकमत होकर सरकार को अपना पूर्ण समर्थन दिया, चाहे वे कोई भी कार्रवाई करें। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व के कुछ नेताओं से बातचीत कर ली थी कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कदम उठाना चाहता है।  हम तैयारी कर रहे थे। धैर्य के साथ। व्यवस्थित योजना के साथ। बुद्धिमानी के साथ।

और फिर, 7 मई की प्रभात वेला में (दशमी, शुक्ल पक्ष, वैशाख), प्रातः 1:04 बजे, भारतीय सेनाथल, जल और वायु सेना ने एकजुट होकर आतंक के विरुद्ध यह महायज्ञ आरंभ किया, जिसे नाम दिया गयाऑपरेशन सिंदूर इस अभियान में PoJK में 4 और पाकिस्तान में 5, कुल 9 आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया। यह संपूर्ण अभियान मात्र 25 मिनट में सम्पन्न हुआ। इनमें से 4 शिविर जैशमोहम्मद, 3 लश्करतैयबा, और 2 हिजबुल मुजाहिदीन के थे। ये आतंकी संगठन 2001 के संसद हमले (9 मृत), 2008 के मुंबई हमलों (166 मृत), अप्रैल 2023 के पूंछ हमले (5 सैनिक मृत), जून 2024 के तीर्थयात्री बस हमले (9 मृत) जैसे अनेक जघन्य कृत्यों के लिए कुख्यात हैं। इन शिविरों में बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट का महमूना जया शिविर, मुजफ्फराबाद का सवाई नाला शिविर, मुजफ्फराबाद का सैयदना बिलाल शिविर, भिम्बर का बरनाला शिविर, सियालकोट का सरजाल शिविर, और कोटली का गुलपुर शिविर शामिल थे। कोई भी भारतीय विमान पाकिस्तानी भूभाग में नहीं घुसाये हमले मिसाइलों के माध्यम से किए गए। सैकड़ों आतंकी मारे गए। हमले इतने सटीक थे कि केवल वही भवन ध्वस्त हुआ जहां आतंकी छिपे थे, पड़ोस की इमारतें भी अछूती रहीं। यह अभियान साहस, सटीकता, दक्षता और मानवता का एक अनुपम उदाहरण था।

पाकिस्तान के किसी सैन्य या नागरिक प्रतिष्ठान पर कोई आघात नहीं किया गया। भारतीय सेना ने सतर्कता, साहस, प्रौद्योगिकी और मानवता का ऐसा अनुपम प्रदर्शन किया, जो विश्व को चकित कर गया। ऑपरेशन के दृश्यों में एम्बुलेंस आतंकियों के शव और घायलों को ले जाते दिखीं। आतंकी प्रशिक्षण शिविरों की ध्वस्त इमारतें इस विजय की गाथा कह रही थीं। यह भी उजागर हुआ कि कई शिविर मदरसों और मस्जिदों में संचालित थे, जहां जिम, स्विमिंग पूल, घुड़सवारी जैसी आधुनिक सुविधाएं थीं।

गीता का यह श्लोक सत्य ही है:

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

इसका सार हैजबजब अधर्म बढ़ता है, भारत में धर्म की पुन:स्थापना होती है। शांति शक्ति के प्रदर्शन से आती हैसनातन धर्म की इस उक्ति कोऑपरेशन सिंदूरने चरितार्थ किया। हमारे रक्षा मंत्री ने गर्व के साथ कहा, “हमने केवल उन्हें दंडित किया, जिन्होंने हमारे निरपराध जनों का रक्त बहाया।धर्म के साथ  न्याय।

हमलों के पश्चात, विश्व के अनेक राष्ट्रों ने भारत के इस साहसिक कदम का समर्थन किया, क्योंकि वे भी आतंकवाद के विरुद्ध हैं। भारत ने विश्व नेताओं को सूचित किया कि यह कार्रवाई केवल आतंकवाद के खिलाफ थी, और हम इसे युद्ध में परिवर्तित नहीं करना चाहते। किंतु, यदि पाकिस्तान और शरारत करता है, तो भारत अपनी जनता की रक्षा हेतु और प्रहार करने से नहीं हिचकेगा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी और अस्थायी सदस्यों को ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी। नई दिल्ली में विभिन्न देशों के राजदूतों को इस अभियान का ब्योरा दिया गया। यही है एक परिपक्व, साहसी, और विश्व में विकसित राष्ट्र के रूप में उभरते भारत का आचरण।

यह नवभारत है, जो अपने जनगण की रक्षा करना जानता है, साहस और संयम के साथ विश्व को यह संदेश स्पष्ट हैजो भारत को तोड़ने, इसके जन और भावनाओं को आहत करने का दुस्साहस करेगा, उसे क्षमा नहीं मिलेगी। आज 140 करोड़ भारतीय आतंकवाद और किसी भी शत्रु शक्ति के विरुद्ध एकजुट हैं। आश्चर्यजनक रूप से, पाकिस्तानी सेना के कुछ सदस्य आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल देखे गए। यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान सेना और इन आतंकवादियों के बीच गठजोड़ को दर्शाता है।

देशभर में उत्सव का वातावरण है। जम्मूकश्मीर के लोग भी प्रसन्न हैं, क्योंकि वे पाकिस्तानप्रायोजित आतंकवाद से त्रस्त हो चुके हैं। वे अब शांति, प्रगति और विकास चाहते हैं। वे विकसित भारत@2047 के स्वप्न में बाकी भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। हमारी धरती पर अब इस तरह के कायराना, अमानवीय कृत्य बर्दाश्त नहीं होंगे। हमारे विदेश मंत्री ने ट्वीट किया:

“विश्व को आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता अपनानी होगी”

देशभर में संभव युद्ध की स्थिति के लिए मॉक ड्रिल आयोजित हो रहे हैं, जिन्हें जनता उत्साह और जोश के साथ निभा रही है। हमारी सेना सीमा पर सतर्क है। हमारे विमान निरंतर हवाई निगरानी कर रहे हैं। यद्यपि पाकिस्तान सीमा पर गोलाबारी कर रहा है, हमारी सेना इसका मुंहतोड़ जवाब दे रही है। हम उनके निर्दोष नागरिकों या सैन्य प्रतिष्ठानों पर बिना उकसावे के आक्रमण नहीं करेंगे। भारत का पाकिस्तान को संदेश स्पष्ट है:

“हमसे उलझने की भूल न करना, वरना और कई ऑपरेशन सिंदूर तुम्हारा इंतजार करेंगे।”

हमें अपनी सेना और प्रधानमंत्री मोदी पर गर्व है। यह भारत के लिए गौरव का क्षण है। किंतु, हमें सतर्क रहना होगा, क्योंकि पाकिस्तान पर विश्वास नहीं किया जा सकता, और वह प्रतिशोध ले सकता है।

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