समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 मई । देश की सरहदें गरम हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट संकेत दे दिया है — जब सीमा पर तनाव हो, तो विदेश नहीं जाया जाता, देश के साथ खड़ा हुआ जाता है। इसी सोच के तहत प्रधानमंत्री का 13 से 17 मई तक प्रस्तावित तीन देशों — क्रोएशिया, नॉर्वे और नीदरलैंड — का यूरोप दौरा अचानक रद्द कर दिया गया है।
सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह फैसला पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने तीव्र सैन्य-सामरिक माहौल को देखते हुए लिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा नॉर्वे में आयोजित Nordic समिट में भागीदारी और तीनों देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने के लिए निर्धारित था।
लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है — “जब दुश्मन सीमा पर खड़ा है, तो हमारा नेता भी वहीं खड़ा रहेगा, विदेशी मंचों पर नहीं।”
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, क्रोएशिया, नॉर्वे और नीदरलैंड को भारत की ओर से औपचारिक सूचना दे दी गई है कि यह दौरा “स्थिति सामान्य होने तक स्थगित” किया जा रहा है। हालांकि, अभी तक इस दौरे के लिए कोई नया शेड्यूल घोषित नहीं किया गया है।
सोशल मीडिया पर यह फैसला आते ही बड़ी संख्या में लोगों ने प्रधानमंत्री की “पहले राष्ट्र, फिर बाकी सब” नीति की सराहना की। एक उपयोगकर्ता ने लिखा:
“जब सरहद पर जवान, तो विदेश नहीं विमान। यही होता है सच्चा नेता। जय हिन्द!”
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से भले ही कोई आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस न की गई हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों और राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषकों के बीच यह साफ है कि भारत ने फिलहाल अपने सारे फोकस और संसाधन पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में झोंक दिए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का यह साहसिक और देश-केंद्रित फैसला यह दर्शाता है कि भारत अब केवल कूटनीति से नहीं, बल्कि निर्णायक कार्यवाही से भी बात करेगा। जब देश की सीमाओं पर खतरा मंडरा रहा हो, तो प्रधानमंत्री का देश में रहना सिर्फ ज़रूरत नहीं — राष्ट्रीय एकता और आत्मबल का प्रतीक बन जाता है।