नई दिल्ली, 1 मई 2025- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की पृष्ठभूमि में भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का पुनर्गठन किया है। इस नवनिर्मित बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में देश के पूर्व गुप्तचर संस्था रॉ (RAW) प्रमुख आलोक जोशी को नियुक्त किया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नए सात-सदस्यीय बोर्ड में थल, वायु और नौसेना से जुड़े कई पूर्व उच्चाधिकारी शामिल हैं। इनमें पश्चिमी वायु कमान के पूर्व प्रमुख एयर मार्शल पी. एम. सिन्हा, दक्षिणी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. सिंह, और नौसेना से रियर एडमिरल मोंटी खन्ना शामिल हैं। पुलिस सेवा का प्रतिनिधित्व राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह जैसे सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी कर रहे हैं, जबकि विदेश सेवा से बी. वेंकटेश वर्मा को शामिल किया गया है।
NSAB एक ऐसा सलाहकार निकाय है जो सरकार के बाहर के सुरक्षा विशेषज्ञों से मिलकर बना होता है। इसमें रक्षा, विदेश नीति, आंतरिक सुरक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आर्थिक मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले विशिष्ट नागरिक और सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल होते हैं। इस पुनर्गठन का उद्देश्य इन सभी क्षेत्रों की अंतर्दृष्टि को राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों में समाहित करना है।
यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब देश पहलगाम हमले के बाद गहरे शोक और चिंता में है। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की जान गई, और कई अन्य घायल हुए। यह हमला उस समय हुआ जब जम्मू-कश्मीर ने शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कर एक नई उम्मीद की ओर कदम बढ़ाया था।
हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति (CCS) की बैठक बुलाई गई। इसके अतिरिक्त राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) और आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की बैठकें भी आयोजित हुईं। बुधवार 30 अप्रैल दोपहर समाप्त हुई दूसरी CCS बैठक में सुरक्षा तैयारियों की गहन समीक्षा की गई।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने सेना की क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास जताया और कहा कि भारतीय सेना को उत्तर देने के लिए समय, स्थान और विधि चुनने की पूरी स्वतंत्रता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।
पहलगाम जैसे भीषण आतंकी हमले के पश्चात भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन एक समयोचित और दूरदर्शी कदम है। ऐसे हमलों को रोकने के लिए केवल सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि रणनीतिक, कूटनीतिक और नीतिगत स्तर पर भी कठोर कदम आवश्यक हैं। पूर्व सैन्य, पुलिस और विदेश सेवा अधिकारियों की विशेषज्ञता को एक मंच पर लाकर सरकार ने यह संदेश दिया है कि अब कोई भी आतंकी प्रयास अनुत्तरित नहीं रहेगा। भारत को चाहिए कि वह साइबर, सीमा और आतंरिक सुरक्षा के हर मोर्चे पर तत्परता से कार्य करे, ताकि राष्ट्र सुरक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बन सके।