नई दिल्ली/श्रीनगर: पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने पुराने और घिनौने मंसूबों को उजागर करते हुए जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाया, लेकिन इस बार उसे भारत से ऐसा करारा जवाब मिला जिसने रावलपिंडी के होश उड़ा दिए। भारतीय सेना ने गुरुवार रात पाकिस्तानी गोलीबारी का माकूल और बेधड़क जवाब देते हुए यह जता दिया कि अब नया भारत बर्दाश्त नहीं, सिर्फ़ बदला जानता है।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर कई भारतीय पोस्टों पर छोटे हथियारों से फायरिंग की गई। हालांकि, किसी प्रकार की जानमाल की क्षति की सूचना नहीं है।
यह उकसावे की कार्रवाई उस वक्त की गई जब देश पहलगाम आतंकी हमले के घावों से उबरने की कोशिश कर रहा है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को लेकर अपने रुख में स्पष्ट सख्ती दिखा दी है।
एलओसी पर जवाबी कार्रवाई के साथ-साथ भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाया है — सिंधु जल संधि का निलंबन।
1960 में हुए इस ऐतिहासिक समझौते को भारत ने एकतरफा रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया है। जल संसाधन मंत्रालय की ओर से पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तुज़ा को भेजे गए पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि निरंतर आतंकवाद और पाकिस्तान की बातचीत से इनकार की नीति के कारण यह निर्णय लिया गया।
पत्र में यह भी उल्लेख है कि पिछले दशकों में परिस्थितियाँ पूरी तरह बदल चुकी हैं — जनसंख्या में वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा की आवश्यकता और भारत के जल उपयोग अधिकारों में अड़चनें — इन सबने भारत को समझौते के पुनः मूल्यांकन के लिए बाध्य किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। पीएम मोदी ने दो टूक कहा — “हर आतंकी और उसके समर्थकों को खोज-खोजकर सज़ा दी जाएगी।”
भारत के जवाब से हताश पाकिस्तान अब बौखलाहट में उलटी धमकियों पर उतर आया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि वह 1972 के शिमला समझौते सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को तोड़ने पर विचार कर रहा है।
यह घटनाक्रम इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत अब “नीति और नीयत” दोनों में बदलाव कर चुका है। जहां एक ओर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद भारत ने अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया था, वहीं अब कूटनीतिक और रणनीतिक मोर्चे पर भी भारत पीछे हटने को तैयार नहीं।
भारत का संदेश साफ है — आतंक को पालने वाले मुल्क के साथ अब कोई ‘पानी’ भी साझा नहीं होगा।