राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार की हिंदी भाषा नीति की कड़ी आलोचना की

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,19 अप्रैल।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार के 2024 राज्य विद्यालय पाठ्यक्रम योजना में कक्षा 1 से हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। राज्य सरकार ने यह घोषणा की थी कि 2025-26 शैक्षिक वर्ष से कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी।

राज ठाकरे ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक बयान जारी कर कहा, “MNS इस जबरदस्ती को मंजूरी नहीं देगा। यदि आप महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य भाषा बनाने की कोशिश करते हैं, तो इसका विरोध किया जाएगा।” उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह देश को “हिंदीकरण” करने की कोशिश कर रही है और ऐसे प्रयास देश के भाषाई विविधता के संघीय ढांचे को कमजोर कर रहे हैं।

ठाकरे ने कहा, “हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है; यह एक राज्य भाषा है, जैसे अन्य भाषाएं। तो क्यों इसे महाराष्ट्र में अनिवार्य बनाया जाए? हर भाषा का अपना इतिहास और परंपरा होती है, जिसे उसके अपने राज्य में सम्मानित किया जाना चाहिए।”

ठाकरे ने इस बिंदु पर जोर दिया कि जैसे मराठी को महाराष्ट्र में सम्मान मिलना चाहिए, वैसे ही अन्य राज्यों में उनकी राज्य भाषाओं का भी सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि हिंदी को अनिवार्य बनाने से भारत की सांस्कृतिक संरचना पर संकट आएगा और इससे अनावश्यक संघर्ष पैदा होंगे।

उन्होंने इस कदम को राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा। ठाकरे ने कहा, “क्या यह चुनावों से पहले मराठी बनाम गैर-मराठी मुद्दे को उभारने की रणनीति है? सरकार का उद्देश्य हिंदी को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए देश को विभाजित करना है।”

इसके अलावा, ठाकरे ने महाराष्ट्र की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर भी सवाल उठाए, जिसमें उच्च बेरोजगारी, ऋण माफी के वादों का विफल होना, और उद्योगों का राज्य से बाहर जाना प्रमुख मुद्दे थे। उन्होंने कहा, “जब सरकार विकास में विफल हो जाती है, तो वह विभाजन और शासक राजनीति की ओर मुड़ जाती है।”

राज ठाकरे का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, क्योंकि यह मुद्दा राज्य की भाषाई पहचान और सरकार की नीतियों के बीच विवाद का कारण बन सकता है।

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