नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 9 अप्रैल को सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे और सम पित्रोदा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इस कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार देते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
चार्जशीट में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 3 (धन शोधन) और धारा 4 (सजा) के तहत आरोप लगाए गए हैं। इसके जवाब में कांग्रेस ने केंद्र सरकार और ईडी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की घोषणा की है।
दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी की और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में ईडी कार्यालयों और जिला स्तर के सरकारी दफ्तरों के बाहर भी प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र (जीतू) पटवारी ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, “यह केवल सोनिया गांधी पर हमला नहीं है, बल्कि समूचे विपक्ष और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सीधा वार है। भाजपा नफरत फैलाकर देश को गुमराह कर रही है।”
वहीं भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा, “विरोध करने का उनका अधिकार है, लेकिन वे विरोध किस बात का कर रहे हैं? बिहार में जब ईडी और सीबीआई लालू परिवार की जांच करती है, तब भी हंगामा होता है। क्या कांग्रेस ने यही विरोध का मॉडल अपनाया है?”
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सापकाल ने कहा, “यह कांग्रेस और गांधी परिवार को डराने और चुप कराने का प्रयास है, लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस किसी से डरने वाली नहीं है।”
प्रदर्शनों के मद्देनज़र दिल्ली के अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, जबकि राज्यों में भी प्रशासन अलर्ट मोड पर है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “यह केवल कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि सरकार द्वारा विपक्ष को चुप कराने की एक संगठित साजिश है। मोदी सरकार लोकतांत्रिक विरोध की आवाज़ को दबाने के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है।”
कांग्रेस का यह राष्ट्रव्यापी विरोध ऐसे समय में हो रहा है जब लोकसभा चुनाव के पहले चरण की सरगर्मियां तेज़ हैं। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि यह मामला आने वाले चुनावी विमर्श को किस दिशा में मोड़ता है।