अंशुल कुमार मिश्रा
भारत सरकार ने वर्ष 2025 में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा और वैश्विक प्रतिष्ठा को नई दिशा देने का माद्दा रखता है। यह कदम है – आव्रजन और विदेशी कानून, 2025। यह नया कानून देश में आने वाले विदेशी नागरिकों के आगमन, निवास, पंजीकरण और निगरानी से जुड़े नियमों को पुनः परिभाषित करता है। इसका उद्देश्य न केवल भारत की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना है, बल्कि उन विदेशियों को भी भरोसा देना है जो ईमानदारी से भारत में अध्ययन, व्यापार, रोजगार या अनुसंधान के लिए आते हैं।
कानून का उद्देश्य और आवश्यकता
आधुनिक समय में, जब दुनिया वैश्विक village बन चुकी है, सीमाओं के आर-पार आवाजाही बढ़ गई है। लेकिन इसके साथ ही अवैध आव्रजन, आतंकवाद, मानव तस्करी और जासूसी जैसे गंभीर खतरे भी बढ़े हैं। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के लिए यह बेहद ज़रूरी हो गया था कि एक ऐसा कानूनी ढांचा बनाया जाए, जो विदेशी नागरिकों की हर गतिविधि पर पारदर्शी और सख्त नज़र रख सके।
इस कानून के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि देश में कोई भी विदेशी अवैध रूप से न रहे और सभी के दस्तावेज़ सही और वैध हों। साथ ही यह भी ज़रूरी है कि ऐसे विदेशी जो भारत को शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार या अनुसंधान के लिए एक उपयुक्त स्थान मानते हैं, उन्हें एक साफ, स्पष्ट और सुरक्षित प्रक्रिया प्रदान की जाए।
महत्वपूर्ण तिथियाँ
11 मार्च 2025: कानून संसद में पेश किया गया।
27 मार्च 2025: लोकसभा में पारित।
10 अप्रैल 2025: राज्यसभा की मंज़ूरी के बाद राष्ट्रपति से स्वीकृति प्राप्त, जिससे यह कानून अस्तित्व में आ गया।
कानून की प्रमुख विशेषताएँ
अनिवार्य पंजीकरण:
भारत आने वाले प्रत्येक विदेशी नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। उन्हें यह प्रमाण देना होगा कि वे वैध वीज़ा और यात्रा दस्तावेज़ों के साथ आए हैं।
कड़े दंड प्रावधान:
जो विदेशी बिना वैध पासपोर्ट या दस्तावेज़ों के भारत में प्रवेश करते हैं, उन्हें 5 साल तक की कैद, ₹5 लाख तक जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
वीज़ा की अवधि से अधिक रुकने या गलत दस्तावेज़ प्रस्तुत करने पर 3 साल तक की जेल और ₹3 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यह कानून 1920 के पुराने कानून की जगह लेता है, जिसमें दंड की मात्रा कम थी।
एयरलाइंस और ट्रांसपोर्ट कंपनियों की ज़िम्मेदारी:
अगर कोई अंतरराष्ट्रीय विमान या जलपोत ऐसा यात्री लाता है जो अवैध रूप से भारत में प्रवेश करता है, तो उस कंपनी पर भी कार्यवाही की जा सकती है।
सुरक्षा बनाम संवेदनशीलता
कानून का मूल उद्देश्य निश्चित रूप से देश की सुरक्षा है, लेकिन इसके साथ-साथ एक मानवीय पहलू भी इसमें शामिल है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। ऐसे लोग जो दस्तावेज़ी अज्ञानता या संसाधनों की कमी के कारण परेशानी में पड़ते हैं, उनके लिए सहानुभूतिपूर्वक समाधान की व्यवस्था होनी चाहिए।
कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने यह चिंता जताई है कि यह कानून कुछ निर्दोष और ज़रूरतमंद व्यक्तियों को भी कानूनी पचड़ों में डाल सकता है। विशेष रूप से वे शरणार्थी या पड़ोसी देशों से आए वे नागरिक, जिन्हें दस्तावेज़ों की पूरी जानकारी नहीं होती, उनके लिए यह कानून चुनौती बन सकता है। इसीलिए यह ज़रूरी है कि प्रशासन इस कानून को लागू करते समय मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखे।
एक सकारात्मक दृष्टिकोण
इस कानून की मदद से भारत एक ऐसी पहचान बना सकता है, जहां सुरक्षा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों, व्यापारिक प्रतिनिधियों और शोधकर्ताओं को भी भरोसा मिल सके। यह कानून भारत को एक जिम्मेदार, सख्त लेकिन संवेदनशील राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है।
आव्रजन और विदेशी कानून, 2025, भारत की आंतरिक सुरक्षा और वैश्विक नीति दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। हालांकि इसकी सख्ती आवश्यक है, परन्तु इसके क्रियान्वयन में संवेदनशीलता और न्यायपूर्ण रवैये की आवश्यकता भी उतनी ही अहम है। कानून की सफलता केवल नियमों की कठोरता में नहीं, बल्कि उसमें छिपी मानवीय भावना और समावेशी सोच में निहित होती है।
यदि सरकार इस कानून को संतुलित रूप से लागू करती है, तो यह देश की सुरक्षा को भी मज़बूती देगा और भारत को एक भरोसेमंद, सुरक्षित तथा सशक्त वैश्विक मंच प्रदान करेगा।
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