सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर सुनवाई – धार्मिक स्वतंत्रता, संपत्ति अधिकार और अनुच्छेद 26 पर हुई अहम बहस

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नई दिल्ली, 16 अप्रैल — सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ अधिनियम (Waqf Act) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम सुनवाई हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से अपनी दलीलें पेश कीं, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकार और राज्य की सीमाओं पर जोर दिया गया।

मुख्य मुद्दे और दलीलें:
धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रभाव (अनुच्छेद 26)
कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि नया वक्फ कानून अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो सभी धार्मिक समुदायों को अपने धार्मिक संस्थानों को प्रबंधित करने की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति पांच वर्षों से धार्मिक प्रैक्टिस नहीं कर रहा है, तो उसे अपनी संपत्ति वक्फ में दान देने से रोकना अनुचित है।

संपत्ति पर अधिकार और सरकार का हस्तक्षेप
उन्होंने कहा कि व्यक्ति की संपत्ति पर उसका मौलिक अधिकार है और यह तय करने का अधिकार कि उसे दान करे या नहीं, सरकार नहीं छीन सकती। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य यह कैसे तय कर सकता है कि कौन उत्तराधिकारी होगा, खासकर जब परिवार में कोई पुरुष वारिस न हो और महिला को उत्तराधिकार से वंचित किया जाए।

हिंदू और मुस्लिम कानून की तुलना
सिब्बल ने कहा कि संसद ने हिंदुओं के लिए उत्तराधिकार कानून बनाया है, लेकिन मुस्लिमों के लिए भी अलग कानून बनाया गया है। ऐसे में धार्मिक स्वतंत्रता पर असंतुलन न हो, इसका ध्यान रखना आवश्यक है।

महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले महिलाओं को मुस्लिम कानूनों के तहत उत्तराधिकार नहीं मिलता था, लेकिन मौजूदा सरकार ने बदलाव करते हुए महिलाओं को संपत्ति में अधिकार दिया है। अब सवाल उठ रहा है कि राज्य ये कैसे तय करेगा कि कौन धार्मिक रूप से योग्य है संपत्ति दान देने के लिए।

कोर्ट की टिप्पणियां:
सीजेआई की महत्वपूर्ण टिप्पणी:
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है और यह सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होता है। उन्होंने कहा, “अगर हिंदुओं के लिए कानून बना है, तो मुस्लिमों के लिए भी संसदीय प्रक्रिया के तहत कानून बनना गलत नहीं है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के तहत सभी नागरिकों को समान धार्मिक अधिकार मिले हैं, और अनुच्छेद 26 “applies to all communities” – यानी यह किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है।

अब तक की स्थिति:

करीब 70 से अधिक याचिकाएं वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई हैं। आज की सुनवाई में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन जैसे वरिष्ठ वकील याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, जबकि सॉलिसिटर जनरल सरकारी पक्ष रखेंगे।

सीजेआई ने सुनवाई के दौरान बार-बार याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे याचिका में दिए गए बिंदुओं से न भटके और कानूनी दलीलों पर केंद्रित रहें।

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