अयोध्या 16 अप्रैल – अयोध्या की पावन धरती ने एक और ऐतिहासिक क्षण को अपने भीतर समेट लिया। श्रीराम के भव्य मंदिर के मुख्य शिखर पर जैसे ही स्वर्ण कलश स्थापित हुआ, पूरा वातावरण मंत्रोच्चार और भक्ति की ऊर्जा से भर उठा। । श्रीराम जन्मभूमि पर निर्माणाधीन भव्य मंदिर के मुख्य शिखर पर सोमवार की सुबह स्वर्ण कलश की स्थापना के साथ एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया।
शुभ 9:15 बजे से आरंभ हुआ यह पवित्र अनुष्ठान 10:30 बजे तक चला। इस डेढ़ घंटे में अयोध्या जैसे भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक उल्लास में डूब गई। जब सोने से मढ़ा कलश शिखर पर स्थापित किया गया, तो पूरा वातावरण मंत्रोच्चार, शंखनाद और जयघोष से गूंज उठा।कलश की स्थापना के साथ ही श्रद्धा, गर्व और उत्सव की भावना पूरे नगर में फैल गई।
कलश हिंदू परंपरा में लक्ष्मी, समृद्धि और पूर्णता का प्रतीक है। राम मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश की स्थापना स्थापत्य की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जैसे कि यह एक प्रतीकात्मक शिखर बिंदु भी मंदिर निर्माण की यात्रा का है। यह संकल्प की सफलता है जो दशकों से करोड़ों राम भक्तों के हृदय में पल रहा था।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि यह खास अनुष्ठान दो महत्वपूर्ण अवसरों—वैशाखी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जयंती—पर आयोजित किया गया, जिससे इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ गया।
कलश स्थापना के समय अयोध्यावासी भावुक हो उठे। मंदिर परिसर के समीप एकत्र श्रद्धालुओं की आंखों में वर्षों की तपस्या और प्रतीक्षा की चमक थी। कई बुजुर्गों ने कहा कि उन्होंने जीवन में इस क्षण की कल्पना की थी, लेकिन इसे साकार देखना किसी चमत्कार से कम नहीं।
स्थानीय निवासी राधेश्याम पांडे कहते हैं, “हमने आंदोलन देखे, प्रतीक्षा की, संघर्ष सहा। आज यह कलश नहीं, हमारे विश्वास का ताज है।”
राम मंदिर निर्माण का सफर यह केवल ईंट-पत्थरों का भवन, भारतीय जनमानस के धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना की पुनर्स्थापना का सफर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अगस्त 2020 में भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ था।
अब जबकि मंदिर के प्रमुख शिखर पर स्वर्ण कलश रखा जा चुका है, जल्द ही ध्वजदंड की स्थापना की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। इसके अलावा प्रथम तल पर राजा राम, सप्तऋषियों और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा भी निकट भविष्य में की जाएगी।
राम मंदिर आज बिल्कुल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र हो गया है। निर्माण कार्य का तकनीकी पहलू लगभग पूरा हो गया है। मशीनें साफ़ की जा रही हैं, और अब पूरा परिसर सिर्फ़ अनुष्ठानों, पूजाओं और भक्ति के भाव में रंगा जा रहा है।
ट्रस्ट ने बताया कि अगले कुछ महीनों में मंदिर परिसर को पूरी तरह श्रद्धालुओं के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। तकनीकी रूप से सम्पन्न निर्माण के बाद अब आध्यात्मिक ऊर्जा से इसे पूरी तरह जीवंत किया जा रहा है।
राम मंदिर का यह पल न केवल धार्मिक रूप से, राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक के रूप भी देखा जा रहा है। अयोध्या अब आस्था का सिर्फ केंद्र, भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतिबिंब बन गई है।
राम मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश स्थापना एक युगांतकारी पल है—एक ऐसा दृश्य जो पीढ़ियों तक याद रहेगा। यह केवल मंदिर निर्माण की उपलब्धि नहीं, एक संकल्प की पूर्णता भी है। अयोध्या की इस सुबह, स्वर्ण कलश की चमक के साथ, इतिहास में एक और अमिट छाप छोड़ी गई है।