पूर्व मिस अर्थ बांग्लादेश मेघना आलम विशेष शक्तियाँ अधिनियम के तहत गिरफ्तार, राजनयिक तनाव के बीच बढ़ा विवाद

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ढाका, 15 अप्रैल — बांग्लादेश की प्रसिद्ध अभिनेत्री और पर्यावरण कार्यकर्ता मेघना आलम को 10 अप्रैल को 1974 के विशेष शक्तियाँ अधिनियम (Special Powers Act – SPA) के तहत गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी नागरिक अधिकारों और बांग्लादेश में राजनयिक हस्तक्षेप को लेकर एक व्यापक विवाद का कारण बन गई है।

मेघना आलम, जिन्होंने 2020 में मिस अर्थ बांग्लादेश का खिताब जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की थी, को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच ने गिरफ्तार किया। खास बात यह रही कि उनकी गिरफ्तारी एक फेसबुक लाइव सेशन के दौरान हुई, जिससे तुरंत सोशल मीडिया पर आक्रोश और अटकलों की लहर दौड़ गई।

रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि आलम की गिरफ्तारी का संबंध ऐसी अफवाहें फैलाने के आरोपों से है, जो बांग्लादेश के राजनयिक संबंधों और आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचा सकती थीं। विशेष रूप से, यह गिरफ्तारी बांग्लादेश में सऊदी अरब के एक वरिष्ठ राजनयिक की शिकायत के बाद हुई।

खबरों के अनुसार, आलम पर सऊदी अरब के बांग्लादेश स्थित राजदूत ईसा यूसुफ ईसा अल-दुहैलान के साथ अंतरंग संबंध रखने का आरोप है। हालांकि इस संबंध की प्रकृति और इसके प्रभावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसने मामले को और अधिक जटिल बना दिया है।

SPA की धारा 3(1) के अंतर्गत, अगर कोई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाए तो उसे बिना मुकदमे के हिरासत में लिया जा सकता है। आलम को काशिमपुर केंद्रीय जेल में 30 दिनों की नजरबंदी में रखा गया है। 1974 में लागू हुआ यह कानून हमेशा से विवादों में रहा है, क्योंकि यह बिना मुकदमे के अनिश्चितकालीन हिरासत की अनुमति देता है — जिससे इसके दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार संगठनों ने आलम की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि इस मामले में SPA का उपयोग करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति की आवाज़ों को दबाने का खतरनाक उदाहरण बन सकता है।

यह मामला विदेशी राजनयिक हस्तक्षेप के व्यापक मुद्दे को भी उजागर करता है। हाल के वर्षों में, ढाका में सऊदी राजनयिकों पर अवैध वीज़ा दलाली में संलिप्त रहने के आरोप भी लगे हैं, जो विदेशी हस्तक्षेप की जटिल और कभी-कभी समस्याग्रस्त प्रकृति को दर्शाता है।

जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ रहा है, पारदर्शिता और विधिक प्रक्रिया के पालन की मांगें भी तेज़ हो रही हैं। मेघना आलम का मामला अब बांग्लादेश के लिए एक संतुलन की परीक्षा बन गया है — राष्ट्रीय सुरक्षा, मानवाधिकार और विदेशी प्रभाव के बीच।

 

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