समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 अप्रैल। तमिलनाडु के कोयंबत्तूर जिले में एक निजी स्कूल में दलित छात्रा को मासिकधर्म के कारण कक्षा के बाहर बैठने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया है। यह घटना उस समय हुई जब छात्रा अपनी वार्षिक परीक्षा दे रही थी।
छात्रा के अनुसार, उसकी कक्षा की शिक्षिका ने प्रधानाचार्य को उसकी मासिकधर्म के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने उसे कक्षा के बाहर बैठने के लिए कहा। छात्रा की मां ने इस घटना का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें उन्होंने स्कूल के प्रबंधन से सवाल किया कि क्या मासिकधर्म के कारण किसी छात्रा को कक्षा के बाहर बैठने के लिए मजबूर करना सही है।
इस घटना के बाद, कोयंबत्तूर ग्रामीण पुलिस ने जांच शुरू की और जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी किया। स्कूल की प्रधानाचार्य को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।
कोयंबत्तूर के जिला कलेक्टर जी पवनकुमार ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्कूल ने दावा किया कि छात्रा की मां ने पहले ही स्कूल से अनुरोध किया था कि उनकी बेटी को अलग से परीक्षा देने की अनुमति दी जाए, लेकिन मां ने इस दावे को खारिज कर दिया।
यह घटना तमिलनाडु में माहवारी के बारे में सामाजिक धारणा को उजागर करती है, जहां महिलाओं को अभी भी माहवारी के दौरान अशुद्ध माना जाता है और उन्हें घर से बाहर रहने के लिए मजबूर किया जाता है। इस घटना ने माहवारी के बारे में जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
जांच जारी है और अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। यह घटना शिक्षा संस्थानों में माहवारी के बारे में जागरूकता और संवेदनशीलता की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
इस घटना ने सरकार की अनदेखी को भी उजागर किया है। सवाल यह है कि सरकार ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं? क्या सरकार ने स्कूलों में माहवारी के बारे में जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कोई पहल की ?