समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,10 अप्रैल। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक बार फिर व्यापार युद्ध की चपेट में आ चुकी हैं। इस बार केंद्र में हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क। ट्रंप द्वारा प्रस्तावित नए टैरिफ ने जहां वैश्विक व्यापार जगत को झकझोर दिया है, वहीं एलन मस्क इस नीति के सबसे मुखर विरोधियों में शामिल हो गए हैं। इसका असर अब सीधे वैश्विक शेयर बाजारों पर दिखाई देने लगा है।
डोनाल्ड ट्रंप, जो 2024 के चुनाव में फिर से प्रमुख दावेदार हैं, ने वादा किया है कि यदि वे सत्ता में लौटते हैं, तो चीन, यूरोप और अन्य देशों से आयात होने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगाएंगे। उनका मानना है कि इससे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिका की अर्थव्यवस्था फिर से ‘स्वावलंबी’ बनेगी।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की नीतियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करेंगी और व्यापारिक तनाव बढ़ाएंगी।
एलन मस्क ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप की प्रस्तावित टैरिफ नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की पॉलिसी से अमेरिकी उपभोक्ता सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि उत्पादन लागत बढ़ेगी और टेक्नोलॉजी व इनोवेशन की गति धीमी हो जाएगी। मस्क का कहना है कि “टैरिफ एक डबल-एज स्वॉर्ड है — ये जितना नुकसान विदेशी प्रतिस्पर्धियों को पहुंचाता है, उतना ही अमेरिका की अर्थव्यवस्था को भी।”
ट्रंप की बयानबाजी और मस्क के तीखे जवाबों के बीच वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। अमेरिकी नैस्डैक और डाउ जोन्स में 4% तक की गिरावट आई, जबकि एशियाई बाजारों में भी हड़कंप मच गया। भारत का सेंसेक्स भी 900 अंकों तक फिसल गया।
अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में चिंता का माहौल है। उनका मानना है कि यदि यह व्यापार युद्ध और गहराता है, तो 2008 जैसी आर्थिक मंदी की पुनरावृत्ति हो सकती है। अमेरिकी टेक कंपनियों, खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल और चिप निर्माण से जुड़ी कंपनियों के शेयरों पर खासा असर पड़ा है।
एलन मस्क बनाम डोनाल्ड ट्रंप की यह टैरिफ टकराव न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिरता पर असर डाल सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बहस अगले कुछ महीनों में किस मोड़ पर पहुंचती है, और क्या वैश्विक नेता इस संभावित आर्थिक संकट से निपटने के लिए कोई साझा रणनीति अपनाते हैं।