समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 अप्रैल। दिल्ली की मेट्रो रेल की गूंज और शहरी आपाधापी के बीच, एक खामोश क्रांति जन्म ले रही है — ना किसी ऊँची इमारत में, ना किसी नामी स्कूल में, बल्कि एक कंक्रीट के पुल के नीचे, जहाँ चॉक की धूल उम्मीद बनकर उड़ती है, और रंगे हुए ब्लैकबोर्ड से टकराकर सपने गूंजते हैं।