जब मनोज कुमार ने शाहरुख खान पर किया था 100 करोड़ का मानहानि केस

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समग्र समाचार सेवा
मुंबई,5 अप्रैल। हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और ‘भारत कुमार’ के नाम से प्रसिद्ध मनोज कुमार और सुपरस्टार शाहरुख खान के बीच एक बार कानूनी विवाद ने फिल्मी दुनिया में हलचल मचा दी थी। यह मामला उस वक्त सामने आया जब शाहरुख की फिल्म ‘ओम शांति ओम’ (2007) में मनोज कुमार की छवि का मजाक उड़ाने का आरोप लगा। इस पर वरिष्ठ अभिनेता ने नाराजगी जताते हुए 100 करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दर्ज कर दिया था।

फराह खान द्वारा निर्देशित ‘ओम शांति ओम’ एक मनोरंजक फिल्म थी जिसमें 70 के दशक के बॉलीवुड को श्रद्धांजलि दी गई थी। फिल्म में एक दृश्य ऐसा था जिसमें अभिनेता शाहरुख खान और अन्य किरदार मनोज कुमार के अंदाज की नकल करते और उसका मजाक उड़ाते नजर आए। इस दृश्य में उनके चेहरे पर रूमाल रखा गया था — एक स्टाइल जो मनोज कुमार की पहचान बन चुका था।

इस मजाक को मनोज कुमार ने गंभीरता से लिया और इसे अपनी छवि को ठेस पहुंचाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह दृश्य उनकी गरिमा और सम्मान के खिलाफ है, और फिल्म निर्माताओं ने बिना अनुमति उनकी नकल करके उन्हें अपमानित किया है।

मनोज कुमार ने शाहरुख खान, फराह खान और फिल्म निर्माताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करते हुए ₹100 करोड़ का हर्जाना मांगा। उनका कहना था कि एक प्रतिष्ठित अभिनेता होने के नाते उनकी सार्वजनिक छवि को इस तरह के मजाक से ठेस पहुंची है और इससे न केवल उनकी भावनाओं को आघात लगा बल्कि उनकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा।

शाहरुख खान और फराह खान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका मकसद किसी का अपमान करना नहीं था, बल्कि यह एक हास्यपूर्ण श्रद्धांजलि थी। बाद में, जब विवाद ने तूल पकड़ा, तब फिल्म से वह दृश्य हटा दिया गया — खासकर जापान में रिलीज होने से पहले।

इस घटना के बाद सिनेमा जगत में “मजाक और मर्यादा” पर बहस शुरू हो गई। कई लोगों ने कहा कि रचनात्मक अभिव्यक्ति में स्वतंत्रता होनी चाहिए, वहीं कुछ ने कहा कि जीवित और सम्मानित व्यक्तित्वों की नकल करते समय संयम बरतना जरूरी है।

मनोज कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा था, “मैंने फिल्म इंडस्ट्री को पूरी ज़िंदगी दी है, लेकिन जब मेरे ही सहयोगी मेरी छवि का मजाक उड़ाएं तो दुख होता है। यह सिर्फ मेरी नहीं, हर वरिष्ठ कलाकार की गरिमा का सवाल है।”

इस मामले ने बॉलीवुड में कॉमिक प्रस्तुति और वास्तविक लोगों के चित्रण को लेकर एक नई जागरूकता पैदा की। अंततः यह मामला अदालत से बाहर शांतिपूर्वक सुलझा, लेकिन यह घटना आज भी याद की जाती है जब एक सम्मानित वरिष्ठ अभिनेता ने अपने आत्म-सम्मान के लिए खड़े होकर पूरे इंडस्ट्री को सोचने पर मजबूर कर दिया।

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