‘हम लोग बांग्लादेश को तोड़कर समंदर तक अपना रास्ता भी बना सकते हैं…’—यूनुस के ‘चिकन नेक’ बयान पर भड़के पूर्वोत्तर के नेता

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1 अप्रैल।
हाल ही में बांग्लादेशी अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के ‘चिकन नेक’ को लेकर दिए गए बयान ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। उनके बयान का विरोध करते हुए पूर्वोत्तर के कई नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं और इसे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठाने जैसा बताया है।

यूनुस ने अपने बयान में भारत के ‘चिकन नेक’ या सिलीगुड़ी कॉरिडोर को लेकर चिंता जाहिर की थी, जो पूर्वोत्तर भारत को शेष देश से जोड़ता है। उन्होंने इस क्षेत्र की रणनीतिक संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए इसे संभावित खतरे के रूप में बताया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के कई राजनेताओं ने कड़ा ऐतराज जताया।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यूनुस के बयान को ‘गंभीर और खतरनाक’ करार देते हुए कहा कि भारत न केवल अपने क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि अगर जरूरत पड़ी तो ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से निर्णायक कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा, “हम लोग बांग्लादेश को तोड़कर समंदर तक अपना रास्ता भी बना सकते हैं, लेकिन भारत हमेशा शांति और पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंधों में विश्वास करता है।”

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी यूनुस के बयान पर आपत्ति जताते हुए इसे अनावश्यक और भ्रामक बताया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत हमेशा से देश का अभिन्न अंग रहा है और किसी भी बाहरी व्यक्ति को इस पर टिप्पणी करने से पहले इतिहास और भूगोल को समझना चाहिए।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण भूभाग है जो पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी क्षेत्र से होकर जाता है और पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। यह क्षेत्र केवल 22-25 किलोमीटर चौड़ा है और चीन तथा बांग्लादेश की सीमाओं के निकट होने के कारण रणनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कॉरिडोर को लेकर भारत को किसी भी संभावित खतरे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। भारत पहले ही अपनी सुरक्षा नीतियों को मजबूत करने के लिए इस क्षेत्र में सैन्य और आधारभूत ढांचे को विकसित कर रहा है।

भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक रूप से मित्रवत संबंध रहे हैं। 1971 के मुक्ति संग्राम में भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा और कूटनीति के स्तर पर संबंध बेहतर हुए हैं। हालांकि, ऐसे बयान द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी तक यूनुस के बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इस बयान के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां और कूटनीतिक हलकों में हलचल देखी जा रही है।

यूनुस के ‘चिकन नेक’ बयान ने भारत के पूर्वोत्तर में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। यह मुद्दा केवल भूगोल या रणनीतिक सुरक्षा का नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता और अखंडता से जुड़ा हुआ है। पूर्वोत्तर के नेताओं की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि भारत अपनी सीमाओं और हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है और इस तरह के बयानों को गंभीरता से लिया जाएगा।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.