सलमान खान से नोएडा की लैम्बॉर्गिनी तक: लापरवाह ड्राइविंग का बढ़ता खतरा

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पूनम शर्मा – नोएडा में हाल ही में हुई लैम्बॉर्गिनी दुर्घटना, जिसमें दो मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए, ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि यह लग्जरी गाड़ी तेज़ रफ्तार से दौड़ रही थी, जब 30 मार्च 2025 (रविवार) को उसने दो मजदूरों को टक्कर मार दी। घायलों की पहचान छत्तीसगढ़ के रहने वाले मजदूरों के रूप में हुई है, जिनके पैर टूट गए, हालांकि अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

यह कार एक डीलर दीपक चला रहा था, जबकि वाहन के मालिक, नोएडा निवासी मृदुल तिवारी, उसी के सामने मौजूद थे। यह दुर्घटना सेक्टर-94, जो नोएडा का सबसे व्यस्त इलाका माना जाता है, में हुई, जब लैम्बॉर्गिनी का संतुलन बिगड़ा और वह मजदूरों से टकरा गई। यह घटना तेज रफ्तार वाहनों के कारण शहरी सड़कों पर बढ़ते खतरों को उजागर करती है।

हालांकि जांच अभी जारी है, लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि लैम्बॉर्गिनी बेहद तेज़ गति से दौड़ रही थी। यह दुर्घटना सड़क पर लापरवाही से गाड़ी चलाने के बढ़ते मामलों को लेकर जनता में गुस्सा और चिंता पैदा कर रही है।

यह दुर्घटना उन कई मामलों में से एक है, जो तेज़ रफ्तार और लापरवाह ड्राइविंग के कारण होते हैं। पिछले पांच वर्षों में सड़क दुर्घटनाएं और मौतें चिंताजनक रूप से बढ़ी हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में पिछले पांच वर्षों में 10% से अधिक की वृद्धि हुई है।

2020 में ही सड़क हादसों में 1.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई और 4.5 लाख से अधिक घायल हुए। हालात तब से और बदतर हो गए हैं, क्योंकि अब तेज़ रफ्तार कारों की संख्या बढ़ी है और कई वाहन चालक ट्रैफिक नियमों का पालन करने से बेपरवाह नजर आते हैं।

लापरवाह ड्राइविंग से जुड़े सबसे चर्चित मामलों में से एक बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का हिट एंड रन केस था। 2015 में मुंबई में हुए इस हादसे में सलमान खान की एसयूवी ने सड़क पर सो रहे एक व्यक्ति को कुचल दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए। यह मामला लंबे समय तक चर्चा में रहा और इसमें अमीर और प्रभावशाली लोगों की जवाबदेही पर बहस छिड़ गई।

यह मामला हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों की जवाबदेही के अभाव को दर्शाता है, जो अक्सर अपनी संपत्ति और शक्ति के कारण कानूनी परिणामों से बच निकलते हैं। इसके बाद सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों में मीडिया और जनता की जागरूकता बढ़ी, खासकर उन कमजोर तबकों के प्रति, जो अक्सर इन हादसों के शिकार होते हैं।

नोएडा में लैम्बॉर्गिनी दुर्घटना एक बार फिर दिखाती है कि तेज रफ्तार और सड़क नियमों की अनदेखी कितनी घातक साबित हो सकती है। नोएडा जैसे शहरों में, जहां रोज़ ट्रैफिक जाम आम बात है, वहां स्पीडिंग एक गंभीर समस्या बनी हुई है। खासकर लग्जरी कारों के मालिक अपनी गाड़ियों को बेतहाशा दौड़ाते हैं, मानो उनके लिए कोई नियम ही न हों।

विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क हादसों में वृद्धि का एक बड़ा कारण खराब सड़क ढांचा और कमजोर कानून प्रवर्तन है। हालांकि बड़े शहरों में ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार हुआ है, लेकिन नोएडा जैसे उपनगरों में अभी भी सड़कों की खराब स्थिति, अव्यवस्थित बुनियादी ढांचा और पुलिसिंग की कमी के कारण दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।

सड़क हादसों में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण यह भी है कि लोग गति सीमा और सुरक्षा नियमों का पालन करने से कतराते हैं। कानून मौजूद हैं, लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं कराया जाता। स्पीडिंग, लापरवाह ड्राइविंग और नशे में गाड़ी चलाने जैसे अपराधों के लिए जुर्माने या सज़ा में सख्ती नहीं की जाती, जिससे लोग कानून तोड़ने से नहीं डरते।

इसके साथ ही, लग्जरी कारों और तेज़ रफ्तार गाड़ियों के प्रति लोगों में दीवानगी बढ़ रही है, खासकर युवाओं में। भारत में महंगी कारों की बढ़ती पहुंच के कारण अब ज्यादा लोग हाई-पावर इंजन वाली गाड़ियां चला रहे हैं, जो खतरनाक गति सीमा को आसानी से पार कर जाती हैं। यह प्रवृत्ति और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, दोनों मिलकर सड़क हादसों की संख्या में तेजी ला रहे हैं।

सड़क सुरक्षा रिपोर्ट (MoRTH 2020) के अनुसार, 2015 से 2020 के बीच भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 10.3% की वृद्धि हुई। 2015 में जहां लगभग 1.4 लाख मौतें हुई थीं, वहीं 2020 तक यह आंकड़ा 1.5 लाख से अधिक हो गया।

2021 में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण दुर्घटनाओं में थोड़ी गिरावट आई, लेकिन 2022 में प्रतिबंध हटते ही ये फिर से बढ़ने लगीं। 2023 की पहली तिमाही में ही भारत में 30,000 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुईं और 12,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन दुर्घटनाओं में मरने वाले अधिकतर लोग निम्न आय वर्ग से होते हैं, जिनमें दैनिक मज़दूर, पैदल यात्री और रिक्शा चालक शामिल होते हैं। अक्सर वे सिर्फ गलत समय पर गलत जगह पर होते हैं, जब तेज़ रफ्तार गाड़ियां अचानक फुटपाथ पर चढ़ जाती हैं या चौराहों पर बिना रुके आगे बढ़ जाती हैं।

इन खतरनाक हादसों को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है:

  1. सख्त ट्रैफिक नियमों का पालन:

    • स्पीडिंग और लापरवाह ड्राइविंग के लिए भारी जुर्माने और सख्त दंड का प्रावधान।

    • स्पीड लिमिट की बेहतर निगरानी और ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन।

  2. सड़क ढांचे में सुधार:

    • सड़कों की मरम्मत और हाई-रिस्क क्षेत्रों में स्पीड ब्रेकर और पैदल क्रॉसिंग लगाना।

  3. जन जागरूकता अभियान:

    • लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करने और सड़क सुरक्षा के महत्व को समझाने के लिए प्रचार अभियान।

  4. बेहतर निगरानी और पुलिसिंग:

    • अधिक स्पीड कैमरों और चेकपॉइंट्स की स्थापना, ताकि कानून तोड़ने वालों को पकड़ने में आसानी हो।

नोएडा की लैम्बॉर्गिनी दुर्घटना भारत में बढ़ते सड़क हादसों और लापरवाह ड्राइविंग के बढ़ते खतरे का एक और उदाहरण है। यह अब समय की मांग है कि सरकार और समाज सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लें, ताकि बेगुनाह लोगों की जान बचाई जा सके और शहरों की सड़कों को सुरक्षित बनाया जा सके।

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