दिल्ली हाई कोर्ट ने Bharatpay ट्रेडमार्क के उपयोग पर लगाया अस्थायी प्रतिबंध, BharatPe द्वारा उल्लंघन का आरोप
दिल्ली 28,March- दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में “Bharatpay” ट्रेडमार्क के उपयोग पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है, जिसे वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी BharatPe ने ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाते हुए चुनौती दी थी। कोर्ट का यह अंतरिम आदेश 25 मार्च, 2025 को पारित हुआ और इसमें BharatPe ने दावा किया कि Bharatpay का ट्रेडमार्क, जो भुगतान सेवाओं में कार्यरत है, पूरी तरह से BharatPe के ट्रेडमार्क से मेल खाता है, जिसे उसने लंबे समय से इस्तेमाल किया है।
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब दो समान नामों वाले ट्रेडमार्क का उपयोग करने वाली दो कंपनियों के बीच समानता का मामला सामने आया। BharatPe, जो UPI और भुगतान सेवाओं में प्रमुख नाम है, ने हाई कोर्ट का रुख किया, यह आरोप लगाते हुए कि Bharatpay, जो समान भुगतान सेवाएं प्रदान करता है, अपने ट्रेडमार्क का उपयोग करके ग्राहकों में भ्रम उत्पन्न करने की कोशिश कर रहा है।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद पाया कि दोनों ट्रेडमार्कों के बीच ध्वन्यात्मक (फोनेटिक) और दृश्य (विज़ुअल) समानताएं हैं। जस्टिस अमित बंसल ने कहा कि BharatPe के पक्ष में “प्राइम फेसी” (प्रारंभिक) तौर पर ट्रेडमार्क उल्लंघन और पासिंग ऑफ का मामला साबित हो रहा है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि Bharatpay का समान ट्रेडमार्क का उपयोग उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिला सकता है कि उसकी सेवाएं BharatPe से संबंधित हैं, जिससे ट्रेडमार्क कानून का उल्लंघन होता है।
इस अंतरिम राहत के तहत, कोर्ट ने Bharatpay को “Bharatpay” ट्रेडमार्क और “www.bharatpay.net” डोमेन नाम के उपयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने डोमेन को निलंबित करने और इससे जुड़े मोबाइल नंबरों को ब्लॉक करने का भी निर्देश दिया। BharatPe ने पहले Bharatpay को एक सीज-एंड-डिसिस्ट नोटिस भेजा था, जिसका कोई उत्तर नहीं आया, जिसके बाद कंपनी ने कानूनी कदम उठाया।
यह मामला खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग में ट्रेडमार्क उल्लंघन और उपभोक्ता भ्रम के मुद्दों को उजागर करता है। BharatPe के वकील, सीनियर एडवोकेट अंकित जैन और उनके सहयोगी वकीलों मोहित गोयल, सिद्धांत गोयल, दीपंकर मिश्रा, कार्तिकेय टंडन और अभिषेक कोट्नाला ने इस अंतरिम आदेश के लिए सफलतापूर्वक बहस की।
मामला 10 सितंबर, 2025 को फिर से सुनवाई के लिए रखा गया है, जब कोर्ट इस मामले की विस्तृत समीक्षा करेगा।
यह निर्णय कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों, जैसे वित्तीय प्रौद्योगिकी में काम कर रही हैं, कि वे अपने ट्रेडमार्क को अद्वितीय बनाए रखें और अनधिकृत उपयोग से अपनी ब्रांड प्रतिष्ठा और उपभोक्ता विश्वास को बचाकर रखें।