समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,28 मार्च। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हिंदू नववर्ष और नवरात्रि का पर्व शुरू होता है। यह समय भक्तों के लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठानों, साधना और पूजा का होता है। इस वर्ष 30 मार्च 2025, रविवार से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 का शुभारंभ होगा, जिसे “सिद्धार्थी संवत” के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी होगी, जो मां दुर्गा की आराधना और भक्तों के लिए आशीर्वाद का समय है। इस बार का नवरात्रि और नववर्ष का संयोग कई विशेष ज्योतिषीय योगों से भरा हुआ है, जो इसे एक अत्यधिक शुभ अवसर बनाता है।
नवरात्रि और हिंदू नववर्ष का महत्व
चैत्र नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से मां दुर्गा की पूजा का समय होता है। इस दिन कलश स्थापन या घटस्थापना की जाती है, और फिर पूरे नौ दिनों तक विभिन्न स्वरूपों में मां दुर्गा की पूजा होती है। इस वर्ष, 30 मार्च से नवरात्रि के पहले दिन, विशेष रूप से “सर्वार्थ अमृत सिद्धियोग” का संयोग बन रहा है। यह योग पूरे दिन प्रभावी रहेगा और विशेष रूप से इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान फलदायक होंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार, इस दिन मीन राशि में छह ग्रहों का योग बन रहा है—सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, शनि और राहु। इन सभी ग्रहों का मीन राशि में एक साथ गोचर करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस विशेष स्थिति को “छह ग्रहों का योग” कहा जाता है, जो इस दिन के प्रभाव को और भी लाभकारी बना देता है। इसके अतिरिक्त, “ऐंद्र योग” रात 7:40 तक और “सर्वार्थ सिद्धियोग” प्रातः 6:14 बजे से शुरू होगा, जो पूरे दिन तक रहेगा।
इसके साथ ही इस दिन “यायिजययोग” भी दिन में 2:14 तक रहेगा। यह सब मिलकर नवरात्रि और नववर्ष के आरंभ को अत्यंत शुभ और भाग्यवर्धक बना रहे हैं। इस दिन का धार्मिक आयोजन और पूजा विशेष रूप से समृद्धि, शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए लाभकारी होगा।
सूर्य देव होंगे नववर्ष के राजा और मंत्री
नववर्ष के राजा के रूप में सूर्य देव का आगमन हो रहा है, और सूर्य के साथ इस वर्ष के मंत्री मंडल में बुध और मंगल जैसे ग्रह भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस वर्ष के राजा सूर्य देव होंगे, जबकि अन्न-धन, खनिज और धातु के स्वामी बुध होंगे। खाद्य पदार्थों के स्वामी मंगल होंगे और रसेश शुक्र ग्रह रहेंगे। इस प्रकार, इस वर्ष की ग्रह स्थिति आर्थिक दृष्टिकोण से भी सकारात्मक प्रभाव डालने वाली होगी।
नवरात्रि के पहले दिन विशेष ग्रह योग
नवरात्रि के पहले दिन ही मीन राशि में सूर्य देव के साथ चंद्रमा, शनि, बुध, शुक्र और राहु छह ग्रहों का एक साथ विद्यमान होना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन “बुधादित्य राजयोग” और “मालव्य राजयोग” भी बन रहे हैं, जो जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता के संकेत हैं। इन सभी विशेष योगों से यह दिन हर रूप में महत्वपूर्ण और लाभकारी साबित होगा।
माता के हाथी पर सवार होकर आना विशेष शुभ
इस नवरात्रि के महापर्व में एक और दिलचस्प और शुभ बात यह है कि इस बार माता दुर्गा का आगमन हाथी पर सवार होकर होगा। हाथी को हिंदू धर्म में सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। यह संयोग न केवल इस नवरात्रि को विशेष बनाता है, बल्कि यह भी संकेत है कि इस बार के नवरात्रि में विशेष रूप से समृद्धि और शांति का वास होगा।
नवरात्रि के नौ दिन: पूजा और साधना का समय
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। प्रत्येक दिन एक विशेष रूप से पूजा जाती है, जिसमें साधक और उपासक उपवास रखते हैं और अपनी साधना में तीव्रता लाते हैं। इस दौरान शक्ति, भक्ति और पुण्य के लाभ की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष का नवरात्रि और हिंदू नववर्ष का आरंभ अत्यधिक शुभ ग्रह योगों और संयोगों के बीच हो रहा है। यह अवसर न केवल धार्मिक रूप से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी विशेष है। इस समय को सही रूप से सम्मानित करके और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर हम न केवल व्यक्तिगत उन्नति प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि समाज में भी एकता, शांति और समृद्धि का माहौल बना सकते हैं। यह समय है जब हम अपनी आध्यात्मिकता को निखार सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।