राहुल गांधी का एंडगेम? उलटी गिनती शुरू

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,27 मार्च।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नेता के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन हाल ही में उनकी नागरिकता को लेकर उठे सवालों ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इस मुद्दे पर सुनवाई हो रही है, जिसमें गृह मंत्रालय (MHA) से राहुल गांधी की नागरिकता पर रिपोर्ट मांगी गई है।

हाल ही में गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट जमा करने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया और सिर्फ चार हफ्ते की मोहलत दी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी, जिससे यह संकेत मिलता है कि अदालत इस मुद्दे को जल्द सुलझाना चाहती है। अगर राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर कोई ठोस प्रमाण सामने आते हैं, तो उनके लिए न केवल राजनीतिक संकट खड़ा हो सकता है, बल्कि उनकी संसद सदस्यता भी खतरे में पड़ सकती है।

इस पूरे मामले की जड़ में राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता से जुड़े दस्तावेज़ हैं। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में दस्तावेज़ पेश करते हुए दावा किया है कि 2002 से 2009 के बीच लंदन में रहकर राहुल गांधी ने “Backup Private Limited” नाम की कंपनी चलाई, जिसमें वे 80% से अधिक शेयर के मालिक थे। इस कंपनी के आधिकारिक दस्तावेज़ों में राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया था।

अदालत में यह भी बताया गया कि जब भारत सरकार ने ब्रिटेन से राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़े दस्तावेज़ मांगे, तो ब्रिटिश सरकार ने “Official Secrets Act” का हवाला देकर जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया। अब भारतीय गृह मंत्रालय इस मामले की जांच कर रहा है और ब्रिटिश सरकार से आधिकारिक दस्तावेज़ प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है।

राहुल गांधी की नागरिकता का मुद्दा सिर्फ उनकी पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि UPA सरकार के दौरान डिफेंस डील से जुड़े आरोप भी इससे जुड़ गए हैं।

सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी की कंपनी “Backup Private Limited” ने भारतीय रक्षा सौदों में मध्यस्थ (middleman) की भूमिका निभाई थी। यह कंपनी यूरोपियन कंपनियों के साथ काम कर रही थी और भारत में रक्षा अनुबंध हासिल करने में अहम भूमिका निभा रही थी।

इतना ही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी रक्षा सौदों में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। स्वामी का दावा है कि गांधी परिवार का इन रक्षा सौदों में सीधा संबंध था और राहुल गांधी की कंपनी के जरिए इन सौदों को पूरा किया गया।

अगर अदालत में राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर कोई ठोस प्रमाण सामने आते हैं, तो इसके गंभीर कानूनी और राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं। संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो विदेशी नागरिकता रखता है, वह भारत में चुनाव नहीं लड़ सकता।

अगर अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया तो:

  • उनकी संसद सदस्यता रद्द हो सकती है।

  • उन्हें चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।

  • कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल खड़े हो सकते हैं।

इस कानूनी संकट के अलावा, राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी लगातार लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर रही है, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता पर संदेह बना हुआ है।

बीजेपी के खिलाफ प्रभावी रणनीति न बना पाना और क्षेत्रीय दलों से कमजोर गठबंधन राहुल गांधी के लिए एक और चुनौती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह संकट गहरा हुआ, तो राहुल गांधी की भूमिका भारतीय राजनीति में सीमित हो सकती है।

अगली सुनवाई में गृह मंत्रालय को ब्रिटिश सरकार से संबंधित दस्तावेज़ अदालत में पेश करने होंगे। अगर ब्रिटेन से कोई प्रमाण मिलता है, तो राहुल गांधी के लिए कानूनी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

अब सवाल उठता है – क्या राहुल गांधी इस संकट से बाहर निकल पाएंगे, या उनका राजनीतिक करियर खत्म होने की ओर बढ़ रहा है? 21 अप्रैल की सुनवाई इस पर बड़ा असर डाल सकती है।

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