पीयूष गोयल ने भारत की ऐतिहासिक आर्थिक उपलब्धि की सराहना की: GDP एक दशक में दोगुनी होकर $4.3 ट्रिलियन पहुंची

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,27 मार्च।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत की असाधारण आर्थिक वृद्धि की प्रशंसा की है, क्योंकि देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पिछले 10 वर्षों में दोगुना होकर 2025 में $4.3 ट्रिलियन तक पहुंच गया है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के नवीनतम आंकड़ों पर आधारित है, जो दर्शाता है कि भारत की GDP 2015 में $2.1 ट्रिलियन से बढ़कर 2025 में 105% की वृद्धि के साथ $4.3 ट्रिलियन तक पहुंच गई है। इस बढ़त ने भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल कर दिया है।

रविवार को जारी एक बयान में, मंत्री गोयल ने इस आर्थिक छलांग को “असाधारण” बताया और कहा कि भारत ने विकास दर के मामले में कई वैश्विक शक्तियों को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, “वैश्विक शक्ति संतुलन बदल रहा है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले एक दशक में अपनी GDP दोगुनी कर ली है और जल्द ही यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।”

भारत की अभूतपूर्व आर्थिक वृद्धि ने इसे दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल कर दिया है, और 2025 तक यह जापान को भी पीछे छोड़ सकता है। अनुमानों के अनुसार, भारत 2027 तक जर्मनी को भी पछाड़ सकता है। IMF के मुद्रास्फीति-समायोजित (inflation-adjusted) आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले एक दशक में भारत की GDP में 77% की वृद्धि हुई है, जो 2015 में $2.4 ट्रिलियन से बढ़कर 2025 में $4.3 ट्रिलियन हो गई है।

भारत की यह आर्थिक वृद्धि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कहीं अधिक तेज़ है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका ने इसी अवधि में मात्र 28% की वृद्धि दर्ज की, जिसमें उसकी GDP 2015 में $23.7 ट्रिलियन से बढ़कर 2025 में $30.3 ट्रिलियन हुई।

वहीं, चीन, जिसे वैश्विक आर्थिक शक्ति माना जाता है, ने इसी अवधि में 74% की वृद्धि दर्ज की, और उसकी GDP 2015 में $11.2 ट्रिलियन से बढ़कर 2025 में $19.5 ट्रिलियन हो गई। हालांकि, पहले के अनुमानों के बावजूद, चीन अब तक अमेरिका को पछाड़कर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन सका है। विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे कोविड-19 महामारी के प्रभाव और चीन के रियल एस्टेट सेक्टर में आई आर्थिक चुनौतियां जिम्मेदार हैं।

IMF की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में इस अवधि में केवल 6% से 14% के बीच ही आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई है। इन देशों का आर्थिक विकास दर भारत और चीन की तुलना में धीमा है, लेकिन ये वैश्विक व्यापार, वित्त और भू-राजनीति में अब भी प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं।

भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारक हैं, जिनमें शामिल हैं:
बुनियादी ढांचे (Infrastructure) में बड़े पैमाने पर निवेश
तेज़ी से बढ़ता टेक और सर्विस सेक्टर
युवा और कुशल कार्यबल
मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति

सरकार की आर्थिक सुधार नीतियां, जैसे माल एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन और डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा, भी इस विकास को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बावजूद, भारत को आय असमानता (income inequality), बेरोजगारी और पर्यावरणीय स्थिरता जैसी चुनौतियों से निपटने की जरूरत होगी। “आत्मनिर्भर भारत” अभियान, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के प्रयास भविष्य में इस विकास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

भारत की GDP का एक दशक में दोगुना होना देश के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक मजबूत और केंद्रीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है।

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